बदलते मौसम में बढ़ जाता है चिकनपॉक्स का खतरा, ये 5 कारण हैं इसके लिए जिम्मेदार

चिकनपॉक्स एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो वैसे तो कभी भी हो जाती है लेकिन बदलते मौसम में इसका सबसे ज्यादा अपना प्रकोप दिखता है। यह एक संक्रामक रोग है जिसे कई लोग चेचक भी कहते हैं। यह संक्रमण 1 से लेकर 10 साल तक की उम्र के बच्चों में ज्यादा होता है। ज्यादा दिनों तक बीमार रहने पर भी इस इंफेक्शन के होने का खतरा रहता है। डॉक्टर्स का कहना है कि खानपान में खराबी आने से भी चिकनपॉक्स होता है।
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बदलते मौसम में बढ़ जाता है चिकनपॉक्स का खतरा, ये 5 कारण हैं इसके लिए जिम्मेदार

चिकनपॉक्स एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो वैसे तो कभी भी हो जाती है लेकिन बदलते मौसम में इसका सबसे ज्यादा अपना प्रकोप दिखता है। यह एक संक्रामक रोग है जिसे कई लोग चेचक भी कहते हैं। यह संक्रमण 1 से लेकर 10 साल तक की उम्र के बच्चों में ज्यादा होता है। ज्यादा दिनों तक बीमार रहने पर भी इस इंफेक्शन के होने का खतरा रहता है। डॉक्टर्स का कहना है कि खानपान में खराबी आने से भी चिकनपॉक्स होता है। खान-पान में आई अनियमितता इस बीमारी का प्रमुख कारण होता है। तेजी से खुजली होना, लाल दाने निकल आना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। एक बार आपको ये लक्षण दिख जाएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। दूसरे लोगों को इससे सुरक्षित रखने का प्रयास भी करें। आइए जानते हैं क्या है चिकनपॉक्स के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके।

चिकनपॉक्स होने के कारण

  • यह बीमारी खान-पान में असावधानी बरतने से ज्यादातर होती है। जैसे दूषित भोजन या पानी का सेवन कर लेना या फिर खुला खाद्य पदार्थ खाना, इस बीमारी को दावत देने जैसा होता है।
  • इसके अलावा अत्यधिक ठंड या गर्म होने से भी यह बीमारी होती है। हवा में मौजूद बेरीसेला वायरस ठंड में ज्यादा सक्रिय होता है जो बच्चों को प्रभावित करता है।
  • जिन बच्चों  की त्वचा ज्यादा संवेदनशील होती है, उसे चिकेन पॉक्स होने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं।
  • ज्यांदा कडे साबुन या ज्यादा देर तक स्नान करने से भी यह इंफेक्शन हो जाता है।
  • ज्यादा छोटे बच्चों में मां के दूध को एकाएक छोडकर अन्य खाद्य पदार्थ खिलाने से यह इंफेक्शन फैल सकता है।

चिकनपॉक्स के लक्षण

सबसे पहले बच्चों में बुखार आता है जो दो दिनों तक रहता है। फिर शरीर में दाने निकल आते हैं। इसमें छह दिन बाद दाने स्वयं ही समाप्त हो जाते हैं लेकिन पीडि़त बच्चा कमजोर हो जाता है और शरीर की प्रतिरोधी क्षमता कमजोर हो जाती है। यह लाल उभरे दाने से शुरू होता है।

  • लाल दाने बाद में फफोलों में बदल जाते हैं।
  • मवाद आने लगता है, मवाद फूटकर खुरदुरा हो जाता है।
  • यह मुख्य रूप से चेहरे, खोपडी, रीढ और टांगों पर दिखाई देती है।
  • इसमें तेज खुजली होती है।
  • भूख ना लगना, उल्टी होना इसका प्रमुख लक्षण है।

चिकनपॉक्स के लिए घरेलू उपचार

  • एक्सपर्ट के अनुसार चिकनपॉक्‍स होने पर आपको सोते समय हल्के कपड़े पहनने और नीम की पत्तियों के बिस्तर पर सोना चाहिए। इन पत्तियों के प्राकृतिक रस से आपकी त्वचा को बहुत अच्छा अनुभव होता है। यदि इस इलाज को नियमित रूप से किया जाये तो चिकनपॉक्‍स की खुजली और दागों से निजात पाई जा सकती है।
  • नीम की पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म रोग दूर होते हैं और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक होता है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक होता है। चिकनपॉक्‍स होने पर दानों में बहुत खुजली होती है, इस खुजली से निपटने के लिए आपको नीम की पत्तियों के पानी से नहाने से काफी राहत मिलती है। इसके लिए गुनगुने पानी से भरे टब में नीम की पत्तियां डालें। इसे लगभग 10 मिनट तक डूबने दें। इस पानी से दिन में एक बार नहाने से आपको चिकनपॉक्‍स से निजात मिलेगी।
  • नीम की पत्तियों का पेस्ट त्वचा के लिए स्वास्थ्यवर्धक और अच्छा है, क्योंकि इससे त्‍वचा तरोताजा हो जाती है। इसके लिए एक मुट्ठी नीम की पत्तियां लेकर उनका पेस्‍ट बना लें। नीम के पानी से नहाने के बाद चिकनपॉक्‍स वाले हिस्‍से पर इस पेस्ट को लगा लें। हालांकि इससे त्वचा में खुजली हो सकती है, लेकिन त्वचा के इलाज के लिए बहुत अच्छा उपाय है।
  • यदि आप पेस्‍ट का इस्‍तेमाल नहीं करना चाहते, तो त्‍वचा पर नीम की पत्तियों का जूस भी लगा सकते हैं। नीम का जूस बनाने के लिए पेस्‍ट बनाने के बाद उसे निचोड़कर जूस बनाया जा सकता है। नीम की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल तत्व होने के कारण यह त्‍वचा के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। यह न केवल दागों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि इंफेक्‍शन को फैलने से भी रोकता है।

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