यदि आपके लाडले का वजन लंबाई के हिसाब से थोड़ा भी ज्यादा है तो वह आने वाले समय में मोटापे का शिकार हो सकता है। लंबाई और वजन की जानकारी के लिए आपको बच्चे का बीएमआई यानी बॉडी मॉस इंडेक्स पता होना चाहिए। आधुनिक जीवनशैली और बदलते खान-पान की वजह से बच्चे तेजी से मोटापे का शिकार हो रहे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में प्रत्येक तीन में से एक बच्चा मोटापे से ग्रसित है। यही हाल अन्य विकसित और विकासशील देशों का भी है। बच्चों में वजन बढ़ने का प्रमुख कारण अधिक मात्रा में सोडे का सेवन और व्यायाम न करना है। इसके अलावा पढ़ाई के बिजी शेड्यूल के बीच घर के खाने से दूरी भी मोटापे का अहम कारण है।
शरीर पर चर्बी की अतिरिक्त मात्रा से बच्चे को कम उम्र में कई बीमारियां हो सकती हैं। आपका बच्चा स्वस्थ रहे इसके लिए उसका वजन नियंत्रित रहना चाहिए। इस लेख के जरिए हम आपको बता रहे हैं बच्चों में मोटापा बढ़ने के आम कारणों के बारे में। यदि आप कुछ बातों को ध्यान रखेंगी तो आपका बच्चा मोटापे का शिकार होने से बच सकता है।
बाजार से लंच खरीदना
अकसर देखा जाता है कि बच्चे स्कूल के कैफिटेरिया या फिर बाजार से लंच खरीदते हैं, घर का खना उन्हें पसंद नहीं आता। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में हुए एक अध्ययन के मुताबिक जो बच्चे बाहर का खाना खाते हैं उनमें से करीब 30 फीसदी मोटापे की समस्या से ग्रसित होते हैं। इस सर्वे में यह भी पाया गया कि बच्चे चिप्स और सोडा आदि खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं, इनका सेवन मोटापा बढ़ाता है।
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टीवी देखना भी अहम कारण
अधिकतर बच्चे हफ्ते में करीब 24 घंटे टीवी देखते हैं। इसके अलावा बच्चे ऑनलाइन वीडियो गेम भी खेलते हैं। कई सर्वे से यह बात साफ हो चुकी है कि ज्यादा टीवी देखने से बच्चों में मोटापे का खतरा बढ़ता है। एक अध्ययन से यह बात भी सामने आई है कि जो लड़कियां रोजाना ढाई घंटे या इससे अधिक टीवी देखती हैं वे दो घंटे टीवी देखने वालों के मुकाबले ज्यादा मोटी होती हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि टीवी देखने से बच्चों की शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, और यह मोटापा बढ़ाने में कारगर है।
अधिक संपन्नता
संपन्न परिवारों में जन्म लेने वाले बच्चों को मोटापे का शिकार होते हुए देखा जा रहा है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि संपन्न परिवारों के बच्चे घर के पौष्टिक भोजन की बजाय बाजार की चीजों जैसे जंक फूड आदि का सेवन ज्यादा करते हैं। इस तरह की चीजों को खाने से मोटापे का खतरा बढ़ता है। जो बच्चे खाना खाने के बाद बैठे रहते हैं, उनके शरीर पर भी अतिरिक्त चर्बी हो जाती है।
पढ़ाई का दबाव
पढ़ाई का बढ़ता दबाव और खेल-कूद या शारीरिक व्यायाम में कमी आना भी बच्चे के वजन बढ़ने का एक कारण है। स्कूली बच्चे कई बार होम वर्क पूरा करने के चक्कर में भोजन भी नहीं खाते और अन्य प्रकार की चीजें खाकर पेट भर लेते हैं। पढ़ाई में व्यस्तता के चलते बच्चों की खेल-कूद के समय में कमी आई है।
मां का नौकरी पेशा होना
साल 2011 में बच्चों के विकास पर हुए एक अध्ययन के मुताबिक जो महिलाएं ऑफिस जाती हैं उनके बच्चे घर पर रहने वाली औरतों के बच्चों के मुकाबले ज्यादा गोलमटोल होते हैं। इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि किसी भी नौकरी करने वाली महिला के बच्चे का घर पर रहने वाली स्त्री के बच्चे की तुलना में पांच महीने में एक पाउंड ज्यादा वजन बढ़ जाता है। ऑफिस गोइंग महिलाओं के बच्चों का बीएमआई ज्यादा होता है।
टेक सेवी हो रहे हैं बच्चे
बच्चों का ज्यादा टेक सेवी होना भी मोटापे की बीमारी को जन्म दे रहा है। साल 2010 में फैमिली फाउंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक 8 से 18 साल तक की उम्र वाले बच्चे प्रतिदिन अपना डेढ़ घंटा आई फोन या अन्य प्रकार के गैजेट पर बिता रहे हैं। इससे शारीरिक गतिविधि में कमी आई है, इसका सीधा असर बच्चों के बीएमआई पर पड़ रहा है।