भोजन में कार्बोहाइड्रेड की अधिक मात्रा लेना भी हो सकता है खतरनाक

भोजन में कार्बोहाइड्रेड और शुगर की मात्रा अधिक होने से सिर और गले के कैंसर के उपचाराधीन मरीज को दोबारा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है और वह मौत का कारण बन सकता है। 
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भोजन में कार्बोहाइड्रेड की अधिक मात्रा लेना भी हो सकता है खतरनाक

भोजन में कार्बोहाइड्रेड और शुगर की मात्रा अधिक होने से सिर और गले के कैंसर के उपचाराधीन मरीज को दोबारा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है और वह मौत का कारण बन सकता है। यह बात एक शोध में सामने आई है। शोध में पाया गया है कि कैंसर का इलाज से पहले के साल में जिन्होंने कार्बोहाइड्रेट और सुक्रोज, फ्रक्टोज, लैक्टोज और माल्टोज के रूप में शुगर ज्यादा लिया, उनमें मृत्यु का खतरा अधिक होता है। 

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित अध्ययन में कैंसर के 400 मरीजों में 17 फीसदी से अधिक मरीजों में कैंसर की पुनरावृत्ति दर्ज की गई, जबकि 42 फीसदी की मौत हो गई। अरबाना शैंपैन स्थित इलिनोइस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता अन्ना ई. आर्थर ने बताया कि कार्बोहाइड्रेट खाने वाले मरीजों और अन्य मरीजों में कैंसर के प्रकार और कैंसर के चरण में अंतर पाया गया। हालांकि उपचार के बाद कम मात्रा में वसा और अनाज, आलू जैसे स्टार्च वाले भोजन खाने वाले मरीजों में बीमारी की पुनरावृत्ति व मौत के खतरे कम हो सकते हैं। 

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हद्य के लिए सही नहीं है अधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवन

PLOS में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने संतृप्त वसा के रक्‍त स्‍तर और कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने वालों पर नजर रखी। अध्‍ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि कार्बोहाइड्रेट की मात्रा में वृद्धि के साथ, रक्त स्तर बढ़ गया। दूसरी ओर, कार्बोहाइड्रेट का कम सेवन करने वाले अधिकांश प्रतिभागियों में संतृप्त वसा का कुल रक्त स्तर कम हो गया।

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अध्‍ययन के दौरान ऐसे सोलह वयस्‍कों को शमिल किया गया, जिन्‍हें मेटाबॉलिक सिंड्रोम था। और इन्‍हें तीन सप्‍ताह के लिए कम कार्बोहाइड्रेट आहार दिया गया। अध्‍ययन के दौरान, मरीजों को दिये जाने वाले आहार से उनका कार्बोहाइड्रेट का स्‍तर बढ़ा हुआ मिला। टीम ने इसके प्रतिकूल प्रभाव नोटिस किये क्‍योंकि कार्बोहाइड्रेट के कम होने से पामिटोलेइक अम्ल (अस्वस्थ चयापचय के साथ जुड़ा फैटी एसिड) का स्‍तर गिरा हुआ पाया गया। 

इस विषय में अध्‍ययन में प्रवेश से पहले ऐसे लोगों ने संतृप्‍त वसा को पहले की तुलना में दो बार ज्‍यादा खाया। जब खून में संतृप्‍त वसा को मापा गया, तो नोट किया गया कि इसका स्‍तर बहुत नीचे चला गया था। इससे पता चलता है कि जब शरीर कार्बोहाइड्रेट को फैट में परिवर्तित करता है तो पामिटोलेइक एसिड बायोमार्कर के लिए संकेत होता है। और इस प्रकार से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

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