गंभीर रोगों की फेहरिस्त में आज भी अगर सबसे भयावह बीमारी है, तो वह कैंसर है। बहरहाल पिछले कुछ वर्षों में आई सेलुलर इम्यूनोथेरेपी ने इस बीमारी से छुटकारा पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बीते चंद वर्षों में सेलुलर इम्यूनो थेरेपी के परिणामों में विभिन्न देशों की नियामक संस्थाओं को मजबूर कर दिया है कि वे इसे चुनिंदा कैंसर में प्रयोग करने की इजाजत दें और इसका नवीनतम उदाहरण टीसेल थेरेपी है। इसका प्रयोग पैन्कि्रयाज कैंसर और मीलेनोमा (त्वचा का कैंसर), और ल्यूकीमिया व लिम्कोमा ब्लड कैंसर में कार्टीसेल का प्रयोग करने की इजाजत अमेरिकन फूड एन्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दे दी है।
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क्या है सेलुलर इम्यूनोथेरेपी
सेलुलर इम्यूनोथेरेपी कैंसर के रोगियों के लिए एक प्रकार का उपचार है, जिसमें मरीज के शरीर की इम्यून सेल्स (रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली कोशिकाओं) का प्रयोग होता है, लेकिन कई बार निकट संबंधी की भी कोशिकाओं का प्रयोग हो सकता है।
पिछले सालों में ज्यादातर सेलुलर इम्यूनो थेरेपी का प्रयोग टी सेल थेरेपी और डेन्ड्राइटिक सेल थेरेपी के रूप में हुआ है, लेकिन इसके बहुत खर्चीले होने की वजह से, बहुत कम लोग ही इसका फायदा उठा पा रहे हैं। इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बात यह है कि नई आयी एन. के. सेल थेरेपी इससे कहीं सस्ती और कहीं अधिक प्रभावी भी है।
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क्या है एन.के. सेल थेरेपी
एन.के. सेल नेचुरल किलर सेल्स, अपने शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र की विशेष प्रकार की कोशिकाएं हैं जो कैंसर सेल्स या वायरस को रक्त में आते ही मार देती हैं, लेकिन जब शरीर में नेचुरल किलर सेल्स की संख्या कम होती है या वह निष्क्रिय रूप में रहती हैं, तो कैंसर शरीर में फैल जाता है।
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सेलुलर थैरेपी के पिछले अनुभव
बोन कैंसर के वे रोगी जिनको हाथ या पैर कटवाने (एम्पुटेशन) की विभिन्न डॉक्टरों के द्वारा सलाह दी गयी थी, वे पिछले तीन साल से टयूमर सर्जरी के बाद, सेलुलर इम्यूनो थेरेपी लेकर स्वस्थ हैं। ऐसे लोग अपने हाथ और पैरों का भी प्रयोग कर रहे हैं।
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