
सिंगल पेरेंट्स को आमतौर पर बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं कई मानसिक परेशानियों से भी गुजरना पड़ता है और बच्चे की अच्छी परवरिश पर भी खास ध्यान देना होता है। ऐसे में सिंगल पेरेंट्स को हर चीज योजना के तहत व बहुत सोच-समझ कर करनी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं, एकल अभिभावक होने के बहुत से लाभ भी हैं। आइए जानें ऐसे ही कुछ लाभ के बारे में।

एकल अभिभावक होने के लाभ
- एकल अभिभावक अपने बच्चे को जरूरत से ज्यादा समय देते हैं। उनका ध्यान बच्चे पर फोकस करने के अलावा कहीं और नहीं भटकता, इतना ही नहीं बच्चे समय के अनुसार समझदार हो जाते हैं।
- एकल अभिभावक का अधिकतर समय अपने बच्चों और परिवार के साथ ही बीतता है।
- बच्चे के तर्क-वितर्क करने की क्षमता बढ़ जाती है और एकल अभिभावक अधिक सतर्क व अधिक जिम्मेदार होते है क्योंकि उन्हें मां और पिता दोनों की ही भूमिका निभानी होती है।
- सिंगल पेरेंटिंग के दौरान बच्चे जल्दी जिम्मेदार हो जाते हैं, जल्दी आत्मनिर्भर भी बनते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान भी अपने आप खोजने के लिए परिवपक्व हो जाते हैं।
- बच्चा समय से पहले मैच्योर होने लगता है और उसके अनुभव अन्य बच्चों से कहीं ज्यादा अलग होते है और वह जिम्मेदारियों को सही तरह से निभाना सीख जाता है।
- एकल अभिभावक अपने बच्चे से अपनी अधिक से अधिक बातें शेयर कर पाते हैं, लेकिन ऐसे में ध्यान रखें की बच्चे से हर प्रकार की बातें ना शेयर करें ।
- एकल अभिभावक अपनी और अपने बच्चे की सभी ख्वाहिशों को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
- एकल पेरेंट्स पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी हो जाते हैं।
सिंगल पेरेंटिंग अपने आप में एक चैलेंज है लेकिन साथ ही यह बहुत कुछ सीखने का मौका देता है। ऐसा भी हो सकता है कि आपके साथ, मुश्किल की घडियां आये और ऐसे में इससे में हतोत्साहित बिलकुल ना हों।
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