शिशु की नैपी बदलने से पहले जरूर करें ये 5 काम, बच्चे को नहीं होगी एलर्जी और इंफेक्शन

शिशु छह महीने से पहले बहुत जल्दी जल्दी पेशाब करते हैं, जिसके चलते उनकी नैपी गीली हो जाती है। कई लोग नैपी को डायपर और लंगोट भी बोलते हैं। जब बच्चा बहुत छोटा होता है तो उसकी नैपी को बार बार चेक करना पड़ता है। क्योंकि गीली नैपी से बच्चों को रैशेज और कई तरह का खतरा हो सकता है। अक्सर महिलाएं घर का काम करने के साथ साथ देखती रहती हैं कि उनके बच्चे ने नैपी गीली तो नहीं कर दी? अगर वह गीला देखती हैं तो तुरंत उसे बदल देती हैं। 
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शिशु की नैपी बदलने से पहले जरूर करें ये 5 काम, बच्चे को नहीं होगी एलर्जी और इंफेक्शन

शिशु छह महीने से पहले बहुत जल्दी जल्दी पेशाब करते हैं, जिसके चलते उनकी नैपी गीली हो जाती है। कई लोग नैपी को डायपर और लंगोट भी बोलते हैं। जब बच्चा बहुत छोटा होता है तो उसकी नैपी को बार बार चेक करना पड़ता है। क्योंकि गीली नैपी से बच्चों को रैशेज और कई तरह का खतरा हो सकता है। अक्सर महिलाएं घर का काम करने के साथ साथ देखती रहती हैं कि उनके बच्चे ने नैपी गीली तो नहीं कर दी? अगर वह गीला देखती हैं तो तुरंत उसे बदल देती हैं। जबकि बच्चे की नैपी को हमेशा साफ हाथों से ही बदलना चाहिए। नैपी बदलने से पहले जरूरी है कि नैपी साफ और धुली हो। आज हम आपको नैपी बदलने की कुछ खास टिप्स बता रहे हैं। इन टिप्स को अपनाकर आप अपने बच्चे को एलर्जी और इंजेक्शन से हमेशा के लिए बचा सकते हैं।

नैपी बदलते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

  • नैपी बदलने से पहले आप अपने हाथ गुनगुने पानी और साबुन से अच्छी तरह धो लें। उसके बाद आप बच्चे की गंदी नैपी हटाकर फेंक दें और गुनगुने पानी में कॉटन डुबोकर बच्चे को अच्छी तरह साफ करें। फिर साफ सूती कपड़े के टुकड़े को गीला करके अच्छी तरह निचोड़ लें और बच्चे के डॉयपर एरिया को अच्छी तरह पोंछें। फिर थोड़ा-सा बैरियर क्त्रीम लगाएं और बेबी पाउडर छिड़कें।
  • अगर आप अपने बच्चे के लिए घर में बना डॉयपर इस्तेमाल करती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि डॉयपर सूती कपड़े का बना हो और उसे गरम पानी और किसी अच्छे एंटीसेप्टिक लोशन से अच्छी तरह धोने के बाद ही इस्तेमाल करें। बेहतर तो यही होगा कि आप उसके लिए डिस्पोजेबल डॉयपर का इस्तेमाल करें।
  • इस बात को अपने मन से निकाल दें कि नैपी बदलना आपके या बच्चे के लिए तकलीफदेह काम है। बल्कि यही समय ऐसा है जब आप अपने बच्चे को थोड़ी देर के लिए बिना नैपी के खुला छोड़ सकती हैं ताकि वह थोड़ी देर तक अपने हाथ-पैर फेंक कर आराम से खेल सके।

जरूरी है बच्चे की मालिश

मालिश से न केवल बच्चे के शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है बल्कि उसके शरीर की कसरत भी होती है। साथ ही मा के हाथों का प्यार भरा स्पर्श बच्चे को सुरक्षा का अहसास दिलाता है। इसलिए बच्चे के लिए मालिश बहुत जरूरी है और रोजाना बच्चे को नहलाने से पहले उसकी मालिश जरूर करनी चाहिए। बच्चे की मालिश करने का सबसे सही तरीका यह है कि आप जिस कमरे में बच्चे की मालिश करने जा रही हैं, उसकी खिड़किया और दरवाजे अच्छी तरह बंद कर दें ताकि बाहर की हवा से बच्चे को ठंड न लगे। फिर आप अपने पैर फैलाकर बच्चे को अपने दोनों पैरों के बीच लिटाएं और अपने हाथों में बेबी ऑयल लगा कर बच्चे की मालिश शुरू करें। मालिश की शुरुआत हमेशा बच्चे के पैरों से करें। फिर हलके हाथों से उसके पेट और छाती की मालिश करें। उसके बाद बच्चे को पेट के बल उलटा लिटाकर उसकी पीठ और कमर की मालिश करें और सबसे अंत में बच्चे के सिर की मालिश करें।

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कैसा होना चाहिए बच्चों का स्नान

हर मौसम में बच्चे की मालिश करने के बाद उसे प्रतिदिन नहलाना चाहिए। बच्चे को नहलाने के लिए पहले उसके नहाने से संबंधित सारा जरूरी सामान जैसे बेबी सोप, शैंपू, तौलिया, बच्चे के कपड़े और बाथ टब को एक जगह एकत्र करके फिर बच्चे को नहलाना शुरू करना चाहिए। बच्चे को नहलाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। इस संबंध में डॉ. सिंघल कहते हैं, छोटे बच्चों को नहलाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की आख, नाक या कान में पानी न जाने पाए। इसके लिए बच्चे को अपने बाएं हाथ पर उल्टा लिटाकर नहलाना चाहिए।

प्राइवेट पार्ट्स को भी रखें साफ

बच्चे को नहलाते समय उसके प्राइवेट पार्ट्स, अंडर ऑर्म्स और गर्दन की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ऐसी जगहों में पसीना ज्यादा जमा होने की वजह बच्चे की कोमल त्वचा में रैशेज पड़ सकते हैं। बच्चे के कान और नाक की सफाई करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। केवल मुलायम सूती कपड़े के कोने से बच्चे के कान का बाहरी हिस्सा साफ करना चाहिए। क्योंकि बच्चे का कान का भीतरी हिस्सा बहुत नाजुक होता है इसलिए बच्चे के कान के भीतरी हिस्से को ईयर बड्स जैसी चीज से कभी भी साफ करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इसी तरह बच्चे की नाक की भी नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए। सप्ताह में एक बार बच्चे का सिर किसी अच्छे बेबी शैंपू से जरूर धोना चाहिए। शैंपू करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि शैंपू बच्चे की आखों में न जाने पाए। नहलाने के तुरंत बाद बच्चे का सिर सूखे तौलिये से पोंछें वरना बच्चे को जुकाम हो सकता है। इस तरह जब आप छोटे बच्चे की सफाई का पूरा ध्यान रखेंगी तो आपका बच्चा हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न रहेगा।

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