बिस्तर गीला करने के आयुर्वेदिक उपचार

नींद में बिस्तर करने का मतलब है मूत्र का बेवश त्याग। आम तौर से 3 या 4 वर्ष की उम्र के बाद बच्चे अपने मूत्राशय पर काबू पा लेते हैं, पर कुछ बच्चों में यह प्रक्रिया कमज़ोर रह जाती है और ऐसे बच्चे अनजाने में और अनिच्छा से नींद में बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं।
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बिस्तर गीला करने के आयुर्वेदिक उपचार

नींद में बिस्तर करने का मतलब है मूत्र का बेवश त्याग। आम तौर से 3 या 4 वर्ष की उम्र के बाद बच्चे अपने मूत्राशय पर काबू पा लेते हैं, पर कुछ बच्चों में यह प्रक्रिया कमज़ोर रह जाती है और ऐसे बच्चे अनजाने में और अनिच्छा से नींद में बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। यह हरकत कभी कभी15-20 वर्ष की उम्र तक चलती रहती है, जिससे कि बढ़ी हुई उम्र के बच्चे शर्मिंदगी महसूस करते हैं।और यह नींद में बिस्तर गीला करने की बीमारी लड़कियों के बनिबस्त लड़कों में अधिक पाई जाती है। इस रोग के कारण न सिर्फ बच्चे हंसी मज़ाक का विषय बन जाते हैं, बल्कि लौंड्री का खर्च भी बढ़ जाता है। उसके अलावा नींद के पैटर्न अव्यवस्थित हो जाते हैं और नींद की कमी के कारण अनेक समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं।

बिस्तर गीला करना

नींद में बिस्तर गीला करने के कारण

  • मूत्राशय की मांसपेशियों में असुंतलन।
  • मूत्र की सामान्य मात्रा को पकडे रखने के लिये, अपेक्षा से छोटा मूत्राशय।
  • शीत पेय या मूत्रवर्धक पेय का सेवन करने से, या मधुमेह या हार्मोन असुंतलन जैसी दीर्घकालीन बीमारी के कारण मूत्राशय में मूत्र का अधिक निर्माण होना।

दिशा-निर्देश और आयुर्वेदिक उपचार

  • बच्चे जान बूझकर बिस्तर गीला नहीं करते। उनका अपने आप पर नियंत्रण नहीं होता।उनपर गुस्सा करके या डांट कर या अपनी नाराजगी जताकर उन्हें अपने आपको कसूरवार न समझने दें, बल्कि समझदारी से काम लें।
  • रात को सोने से पहले, गुनगुने दूध के साथ पाउडर के रूप में आयुर्वेदिक औषधि शसर्पा का सेवन करने से लाभ मिलता है।.
  • यह पता करने के प्रयास करें कि आपके बच्चे को पर्याप्त नींद मिलती है कि नहीं। सोने की सही समय-सारिणी से बच्चे को उठने में आसानी होगी जब उसे मूत्रत्याग का एहसास होगा।
  • एक तवे पर धनिये के बीज को भून लें जब तक कि वह भूरे रंग के नहीं हो जाते। इनमे एक चम्मच अनार के फूल, तिल, और बबूल की गोंद मिलाकर एक मिश्रण बना लें और उनका चूरा बना लें। इसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर सोते समय बच्चे को दें।  
  • बच्चे को आलू, हरे चने, चॉकलेट, चाय, कॉफ़ी और मसालेदार खान पान,  जिससे पेट में गैस बनता है, का सेवन न करायें। सोने से कुछ घंटे पहले तक किसी भी तरह के तरल पदार्थ का सेवन न करायें।
  • सोने से दो तीन घंटे पहले बच्चे को अपना मूत्राशय खाली करने को कहें। फिर उसके  सोने के दो या तीन घंटे बाद का अलार्म लगाकर रखें ताकि उसे पेशाब करने के लिए जगाया जा सके।
  • कभी कभी परिवार के किसी सदस्य या प्रिय मित्र की मृत्यु, माता-पिता का संबंध विच्छेद वगैरह, बच्चों में उच्च तनाव की वजह बनते हैं और नींद में बिस्तर गीला करने के कारण बन सकते हैं। 
  • बच्चे की भावनाओं को समझने के प्रयास करें और उनसे झूजने के लिए सकारात्मक कदम उठायें इससे पहले कि वह भावनाएं तनाव बनकर नींद में मूत्रत्याग के ज़रिये निष्काषित हों। 
  • नियमित आहार में अम्लाकी,अदरक, अजवाइन , जीरा, पुदीना और तुलसी वगैरह का समावेश करें। ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जतमंसी वगैरह जैसी तनाव कम करने वाली औषधियों भी काफी असरदार होती हैं।
  • सोने से पहले एक चम्मच शहद के प्रयोग से भी नींद में बिस्तर गीला करने पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
  • अन्य आयुर्वेदिक औषधियाँ हैं, विशातिन्दुका वटी, शिलाजीतवाड़ी वटी, चंद्रप्रभा वटी, वगैरह।

 

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