बाहें फैलाना यानी आर्म स्ट्रेच करना। सामान्यतः हम शारीरिक फिटनेस के लिए, फिर चाहे आर्म स्ट्रेचिंग ही क्यों न हो, हमेशा खड़े होकर एक्सरसाइज करते हैं। सवाल उठता है कि क्या आर्म स्ट्रेचिंग के लिए भी घंटों खड़े रहकर एक्सरसाइज करना पड़ेगा? जी, नहीं! आर्म स्ट्रेचिंग यानी बाहें फैलाने के लिए खड़े होने की जरूरत नहीं है। लेकिन हां, आर्म स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज के लिए एक बैंड की आवश्यकता होगी जिसके जरिये आसानी से 10 से 12 बार एक्सरसाइज की जा सकती है। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि बैठे बैठे एक्सरसाइज के कुछ नियम होते हैं। बेहतर परिणाम के लिए आपको चाहिए कि पैरों को क्रोस कर स्ट्रेट होकर बैठें, हाथों को पूरा स्ट्रेच करें, अपनी रीढ़ की हड्डी का संतुलन बनाए रखें। साथ ही साथ बैंड के मूवमेंट पर अच्छी पकड़ बनाए रखें।
बैंड को खींचना
ध्यान रखें कि जो बैंड आप ले रहे हैं, उसकी अच्छी खासी लम्बाई हो ताकि दोनों हाथों को फैलाना हो तो भी वह कम न पड़े। बहरहाल पहली एक्सरसाइज की ओर मुड़ते हैं। पहली एक्सरसाइज के तहत हमें बैंड को खींचना होता है। इसके लिए आपको चाहिए कि बैंड के एक सिरे को आप अपने पैर के नीचे अच्छी तरह दबा लें ताकि खींचने पर वह बाहर न निकल सके। बैंड का अगला सिरा दूसरी हाथ से पकड़ें। इसके बाद उस सिरे को जितना दूर यानी पीछे की ले जा सकते हैं, ले जाएं। बैंड को खींचते हुए जहन में रखें कि आपकी कलाई के मूवमेंट बहुत महत्वपूर्ण है। कलाई सीधी रहनी चाहिए। इसके बाद बैंड को पकड़कर इस तरह एक दिशा से दूसरी दिशा में ले जाएं जिससे हर समय हाथ स्ट्रेच हो। ध्यान रखें कि बैंड छूटे नहीं। हाथ को नीचे की ओर नितंब के पास लाकर एक्सरसाइज खत्म करें। ऐसा कई बार दोहराएं।
बाहरी रोटेशन
जैसा कि हमने पिछली एक्सरसाइज में नोटिस किया है कि हाथ सामने से होते हुए नितंब तक पहुंचता है। इस बीच बाहें लगातार फैली अवस्था में ही होती है। बाहरी रोटेशन भी कुछ कुछ ऐसा ही है। इसमें भी बैंड के एक सिरे में हमें बैठै रहना होता है और उसे कस के दबाए रखना होता है ताकि एक्सरसाइज के दौरान वह छूट न जाएं। बहारी रोटेशन एक्सरसाइज के तहत बैंड की दिशा बदलती है। पहले एक्सरसाइज में बैंड को अंगूठे के बाहरी ओर से मुट्ठी में बंद करना होता है। जबकि बाहरी रोटेशन में बैंड अंगूठे के पीछे नहीं बल्कि आगे से मुट्ठी में होता है और मुट्ठी की दिशा आसमान की ओर रहती है। अब चूंकि आप बैंड को अपने हाथ में लाक कर चुके हैं तो बैठे बैठे एक बार बैंड को एक दिशा से दूसरी दिशा की ओर कंधे के सामने से लेकर जाएं। इस एक्सरसाइज के तहत ध्यान रखें कि रीढ़ की हड्डी में कोई गतिविधि न होने पाए। संपूर्ण सक्रियता कंधों पर ही टिकी रहती है।
भीतरी रोटेशन
इस एक्सरसाइज को बाहरी रोटेशन का ठीक उल्टा एक्सरसाइज माना जा सकता है। असल में इस एक्सरसाइज में भी हमें अपने बैठे रहने की स्थिति नहीं बदलनी है। लेकिन बैठे बैठे हमें कलाई की अवस्था पर ध्यान देना है। जैसा कि बाहरी रोटेशन में मुट्ठी आसमान की ओर बंद होती है, इसमें मुट्ठी धरती की ओर मुड़ती है। इसके बाद तमाम स्ट्रेचिंग वैसी ही की जाती है, जैसा कि बाहरी रोटेशन में होता है। इस एक्सरसाइज में एक बात और जो जहन में रखने की है, वह है हाथ की पोजिशन। इसमें हाथ कंधों के स्तर तक उठता है। रीढ़ की हड्डी में कोई गतिविधि नहीं होती। ख्याल रखें कि बैंड की पकड़ कमजोर न हो और न ही उसमें किसी प्रकार की ढिलाई आए।
एल
बैंड से अब आपको अपने शरीर को एल शेप में बनाना है। आप गलत सोच रहे हैं। न ही आपको खड़े होने है और न ही बैंड छोड़ना है। इसके तहत आपको अपने एक हाथ को घुटने के ऊपर रखना है। जिस पैर के नीचे बैंड को दबाए रखा है, उसी दिशा के हाथ से बैंड को पकड़ना है और 90 डिग्री के एंगल में हाथ को ऊपर की ओर ले जाना है। यही नहीं ऊपर की ओर ले जाते हुए चारों अंगुलियां खुली हुई होनी चाहिए और उनकी दिशा आसमान की ओर होनी चाहिए। जबकि अंगूठे में बैंड का अन्य सिरा दबा हुआ होना चाहिए। पैरों क्रोस पोजिशन में ही बने रहने चाहिए और रीढ़ की हड्डी स्ट्रेट होनी चाहिए। अपने कंधों को इसी दिशा ऊपर और नीचे करना होता है।
ये तमाम एक्सरसारइज पहले एक हाथ से किये जाने चाहिए। इसके बाद इन्हें अन्य हाथों से आजमाना चाहिए। प्रत्येक एक्सरसाइज को 10 से 12 बार दोहराना चाहिए। बाहों में इससे फैलाव तो आएगा ही साथ ही शरीर को आराम मिलेगा।
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