यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) सेंटर फॉर डिवाइसेज एंड रेडियोलॉजिकल हेल्थ ने भारत द्वारा तैयार किए गए ब्रेस्ट, लीवर और पैंक्रियाटिक कैंसर के उपचार करने वाले एंटी- कैंसर किट आविष्कार को अप्रूवल दे दिया है। इतना ही नहीं यूएसएफडीए ने इसे ब्रेस्ट, लीवर और पैंक्रियाटिक कैंसर के उपचार के लिए ब्रेक थ्रू डिवाइस का नाम भी दिया है। बता दें कि इस इंनोवेशन के पीछे राजह विजय कुमार का हांथ है, जो बेंगलुरु के डी स्केलेन नामक ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष हैं और बायोफिज़िक्स, नैनो टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल एनर्जी जैसे विषयों पर खोज कर रहे हैं। राजह विजय कुमार कैंसर के उपचार के लिए लंबे समय समय से काम कर रहे हैं। राजा द्वारा बनाए गए इस साइटोट्रोन (Cytotron)डिवाइस का उद्देश्य कैंसर सेल्स में होने वाली अनियंत्रित वृद्धि का पता लगाना है। साथ ही इन कोशिकाओं को मल्टीप्लाई होने और फैलने से रोकने के लिए कैंसर सेल्स के प्रोटीन को खत्म करना भी है। इस पूरी प्रक्रिया को टिशू इंजिनियरिंग ऑफ कैंसर सेल्स कहते हैं और अब इसे इस डिवाइस से मदद मिलेगी।
कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इस ब्रेक थ्रू डिवाइस को नियोप्लास्टिक डिजीज, जैसे प्रोटीन से जुड़े विकारों के उपचार में मदद करने के लिए जाना जा रहा है। विशेष रूप से इससे कैंसर के दर्द से राहत, शिथिलता और कैंसर के बाद जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) सेंटर फॉर डिवाइसेज एंड रेडियोलॉजिकल हेल्थ ने भारत के इस खोज को लेकर कहा है कि "हमें ये बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि कैंसर के उपचार के लिए राजा विजय कुमार का ये उपकरण सभी प्रस्तावित मापदंडों को पूरा करता है और इसलिए इसे अब कैंसर के उपचार में सफल उपकरण के रूप में नामित किया जाता है।'' साइटोट्रोन (Cytotron)के के इस आविष्कार के लिए राजह ने अपने जीवन के 30 साल लगा दिए हैं। उन्होंने इसे भोपाल के सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट में तैयार किया।
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इस नए डिवाइस के फायदे-
- इससे कैंसर सेल्स को जल्द से जल्द पता लगाकर रोकने में मदद मिलेगी।
- कैंसर सेल्स में पाए जाने वाले प्रोटीन आदि के टिशू इंजिनियरिंग में मदद मिलेगी।
- इसके अलावा इससे कैंसर थेरेपी के वक्त हाई एनर्जी और फास्ट रेडियो ब्रस्ट में मदद मिलेगी।
- साथ ही इससे कैंसर सेल्स के सेलुलर पाथ को संमझने में भी मदद मिल सकती है।
आज के समय में जब पूरी दुनिया कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रही है, वहीं कैंसर के खिलाफ इस लड़ाई में नई तकनीकों के विकास से मदद मिल पाएगी। सेंटर फॉर डिवाइसेज एंड रेडियोलॉजिकल हेल्थ, जो यूएसएफडीए की एक शाखा है, अमेरिका में सभी चिकित्सा उपकरणों के बाजार में आने से पहले से जांच करती है। इसके बाद ही ये संस्था इस बात को सुनिश्चित करती है कि कोई भी मेडिकल डिवाइस उपयोग के लिए प्रभावी और सुरक्षित है या नहीं। ऐसे में साइटोट्रोन की इस नई खोज को भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। इस खोज को करके राजह ने पूरी दुनिया में कैंसर के इलाज को लेकर किए जा रहे सभी प्रयासों और शोधकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है, जिसे आमतौर पर आसान नहीं माना जाता है।
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आमतौर पर रोटेशनल फिल्ड के क्वांटम मेकनिक्स डिवाइस (एफआरबी), उच्च ऊर्जा, और शक्तिशाली लघु रेडियो का इस्तेमाल किया जाता है। शोधकर्ता का कैंसर रोधी इस किट को देश में, इसी तरह के समान सिद्धांतों का उपयोग करते हुए तैयार किया गया है। अब इस उपकरण की मदद से ब्रेस्ट, लीवर और पैंक्रियाटिक कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के उपचार में मदद मिल सकती है। अब देखने वाली बात ये होगी कि आने वाले वक्त में कैंसर के उपचार में इस के डिवाइस का कितना योगदान होता है।
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