आजकल की तेज़ और शोर-शराबे वाली दुनिया में ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जो कानों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। लगातार तेज़ आवाज़ों के संपर्क में रहने से कानों की सुनने की क्षमता धीरे-धीरे प्रभावित हो सकती है।
एक्सपर्ट की राय
इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के रवींद्र योगा क्लीनिक के योगा एक्सपर्ट डॉ रवींद्र कुमार श्रीवास्तव से बात की। आइए जानते हैं योग करने का तरीका और इनकों करने से क्या-क्या फायदे होते हैं?
सुनने की क्षमता में कमी
उम्र बढ़ने के साथ कानों की नसें कमजोर होती हैं, जिससे सुनने की क्षमता में कमी आती है। इसकी वजह से बहरेपन या टिनिटस (कान में गूंजने की आवाज़) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
योग के फायदे
योगा कानों की सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है। खासतौर पर, वे लोग जिनकी उम्र 50 साल के पार है, उन्हें कानों से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं।
ब्लड सर्कुलेशन में सुधार
रोजाना योगासन करने से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है, जिससे नसों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इसकी वजह से कानों की सेहत बेहतर होती है।
शून्य मुद्रा
शून्य मुद्रा करने के लिए शांत स्थान पर बैठकर उंगलियों की मदद से कानों को सक्रिय किया जाता है, जिससे सुनने की क्षमता बढ़ सकती है। इसे दोनों हाथों से दोहराना चाहिए। यह मुद्रा टिनिटस जैसी समस्याओं को भी कम करने में मददगार है।
मत्स्यासन
मत्स्यासन के दौरान सीने को ऊपर उठाने और सिर को झुका कर जमीन को छूने से कान और गर्दन के पास के ब्लड फ्लो में सुधार होता है, जिससे कानों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम या बी ब्रीथ पोज़ कानों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस प्राणायाम के दौरान हमिंग आवाज़ निकालने से कानों में इको बनता है, जो नसों को आराम पहुंचाता है। यह सुनने की क्षमता को बढ़ाता है।
वृक्षासन
वृक्षासन के दौरान संतुलन बनाने से पूरे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है। इसके अलावा, यह संतुलन बनाने और शरीर के लचीलापन को बेहतर बनाने में भी मदद करता है, जिससे कान स्वस्थ रहते हैं।
अगर आपके कानों का इलाज चल रहा है, तो आप योगासन कर सकते हैं। लेकिन, अगर आपको सुनने की क्षमता में कमी महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com