पुषाण मुद्रा सांकेतिक पोजीशन है। इसमें हाथ और उंगलियों की अलग-अलग अवस्था होती है। चलिए जानते हैं, इसके फायदों के बारे में। इसके साथ ही जानिए इसे कैसे करते हैं?
पुषाण मुद्रा करने का तरीका - स्टेप -1
पुषाण मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले योग करने की अवस्था में बैठें।
स्टेप - 2
इसके बाद अपने हाथों को जांघों पर रखें और मिडिल फिंगर व इंडेक्स फिंगर पर अंगूठे से दबाव दें।
स्टेप - 3
इसे करते समय हथेली ऊपर की तरफ करके मिडिल फिंगर या रिंग फिंगर के साथ छोटी उगंली को फैलाकर रखें।
बाएं हाथ से करें पुषाण मुद्रा - स्टेप - 1
मिडिल फिंगर और रिंग फिंगर को अंगूठे से दबाएं।
स्टेप - 2
हथेली ऊपर की तरफ करके इंडेक्स और पिंकी फिंगर को बाहर की तरफ खोलकर रखें।
स्टेप - 3
हाथ के पिछले हिस्से को जांघों पर रखें। इसके बाद सांस लें और उंगलियों से अंगूठे पर दबाव को बढ़ाएं। अब सांस छोड़ते हुए दबाव कम करें।
पाचन सुधारे
इसे करने से पेट फूलने की दिक्कत और मतली से आराम मिलता है। यह गैस्ट्रिक समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। इसके साथ ही यह अपच भी दूर करता है।
सांस लेने की तकलीफ दूर करे
इससे सांस लेने की परेशानी दूर होती है। इसके साथ ही बलगम जमा होने पर और दमा की परेशानी से भी छुटकारा मिलता है।
तनाव घटाए
पुषाण मुद्रा तनाव कम करती है और याददाश्त बढ़ाने में सहायता करती है। यह ध्यान केंद्रित करने में भी लाभकारी है। इसे करने से रक्तसंचार भी सुचारू रूप से होता है।
पुषाण मुद्रा का अभ्यास करना बहुत गुणकारी है। इसे रोजाना करें। सेहत से जुड़ी जानकारियों के लिए पढ़ते रहें Onlymyhealth.com