दबी हुई नसें खोलने के लिए करें ये 3 योगासन, सूजन और दर्द से मिलेगी राहत

By Himadri Singh Hada
19 Jan 2025, 19:00 IST

दबी हुई नसों की समस्या शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यह पैर, गर्दन या सिर में हो सकती है। जब नसें दबती हैं, तो इससे ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है, जिससे सूजन और गंभीर दर्द पैदा हो सकता है।

सुन्नपन महसूस होना

अक्सर इस समस्या के दौरान हमें हाथ-पैरों में सुन्नपन या पिन चुभने जैसी स्थिति का महसूस होती है, जिसे नस दबने और ब्लड सर्कुलेशन रुकने के कारण देखा जाता है।

हेल्दी लाइफस्टाइल

यह समस्या आमतौर पर हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और बेहतर ब्लड सर्कुलेशन से ठीक हो सकती है। हालांकि, जब यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो नसें ब्लॉक हो जाती हैं। इससे सूजन पैदा होने लगती है।

ब्लड फ्लो रुकना

नसों के दबने से ब्लड फ्लो रुकता है, जिससे खून ठीक से शरीर के अंगों तक नहीं पहुंच पाता। इसकी वजह से मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

हड्डियों पर प्रभाव

अगर दबी हुई नसें समय पर ठीक नहीं होतीं, तो यह गंभीर स्थिति का रूप ले सकती हैं। इसकी वजह से हड्डियों या मांसपेशियों की कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।

योगासन

योगासन नसों को लचीला बनाने और ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इससे सूजन कम होती है और दर्द में राहत मिलती है। आइए कुछ प्रभावी योगासन के बारे में जानते हैं।

अधोमुख श्वान आसन

अधोमुख श्वान आसन इसका एक प्रभावी तरीका है। इस आसन में कूल्हों को ऊपर उठाकर, शरीर को धनुष के आकार में खींचने से नसों और मांसपेशियां स्ट्रेच होती हैं, जिससे ब्लड फ्लो बेहतर होता है।

सुप्त पादांगुष्ठासन

इस आसन में पैरों और पंजों को स्ट्रेच करते हुए शरीर का संतुलन बनाए रखा जाता है, जिससे नसों में जमा ब्लड की रुकावट को दूर किया जाता है। यह नसों में दर्द और सूजन को कम करता है। साथ ही, ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।

भुजंगासन

भुजंगासन में पेट के बल लेटकर शरीर को ऊपर की ओर उठाया जाता है, जिससे पीठ, सिर और छाती की नसों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे साइटिका नसों का दर्द कम होता है। साथ ही, बैली फैट कम करने में भी मदद करता है।

इन योगासनों का अभ्यास कम से कम 30 मिनट तक करना चाहिए। गंभीर स्थिति होने पर डॉक्टर सलाह जरूर लें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com