महिलाओं को पीरियड्स, मौसम बदलाव और इंफेक्शन के कारण योनि से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वजाइना में पसीना आना इन्हीं में से एक है। आइए गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रितु से जानते हैं इसकी वजह।
हार्ड वर्कआउट और सेक्शुअल रिलेशन
हार्ड वर्कआउट या सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान ब्लड फ्लो बढ़ जाता है, जिससे वजाइनल एरिया में पसीना आ सकता है। ये सामान्य फिजिकल रिएक्शन है।
स्ट्रेस और एंग्जायटी का असर
इमोशनल स्ट्रेस और एंग्जायटी शरीर की गर्मी बढ़ा देते हैं। इससे दिल की धड़कन तेज होती है और पसीना ज्यादा आता है, वजाइना भी प्रभावित होती है।
हार्मोनल बदलाव की भूमिका
मेनोपॉज, प्रेग्नेंसी या पीरियड्स के दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं। इससे योनि की नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव आता है, जिससे पसीना हो सकता है।
इंफेक्शन से बढ़ी परेशानी
यीस्ट इंफेक्शन या बैक्टीरियल वेजिनोसिस के कारण वजाइनल डिस्चार्ज बढ़ जाता है। कई बार इसे महिलाएं वजाइनल स्वेटिंग समझ बैठती हैं, जबकि ये इंफेक्शन होता है।
टाइट कपड़ों से परेशानी
टाइट पैंट्स या सिंथेटिक अंडरवियर वजाइना का तापमान बढ़ा देते हैं। इससे पसीना आता है और इरिटेशन भी हो सकती है। कॉटन और लूज कपड़े पहनें।
हाइड्रेशन बनाए रखें
पर्याप्त पानी पीने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है। हाइड्रेटेड रहने से वजाइनल पसीने की समस्या को कम किया जा सकता है।
हाइजीन पर ध्यान दें
वजाइना को साफ और सूखा रखें। पेशाब के बाद सफाई जरूरी है। हाइजीन की अनदेखी से इंफेक्शन और पसीने की समस्या बढ़ सकती है।
अगर वजाइनल स्वेटिंग लगातार बनी रहती है, तो तुरंत गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह लें। सही डायग्नोसिस और इलाज से आपको राहत मिल सकती है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com