पीरियड्स महिलाओं के शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो आमतौर पर 28 से 35 दिनों के बीच आती है। लेकिन, कभी-कभी यह समय पर नहीं होती, जिससे महिलाओं को चिंता होने लगती है।
एक्सपर्ट की राय
होम्योपैथ और न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. स्मिता भोईर पाटिल ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करके बताया है कि पीरियड समय पर न होने के क्या कारण होते हैं?
पीसीओडी या पीसीओएस की स्थिति
पीसीओडी या पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है। इसकी वजह से ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं और मासिक धर्म अनियमित हो सकता है।
कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ना
ज्यादा तनाव लेने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ सकता है, जिससे पीरियड्स को नियंत्रित करने वाले हार्मोन प्रभावित होते हैं और मासिक चक्र अनियमित हो सकता है।
पोषक तत्वों की कमी
शरीर में पोषक तत्वों की कमी, जैसे आयरन, विटामिन बी12 और अन्य जरूरी मिनरल्स की कमी भी पीरियड्स के समय पर न आने का एक बड़ा कारण बन सकती है।
हीमोग्लोबिन की कमी
एनीमिया यानी खून की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर घट जाता है, जिससे पीरियड्स देरी से आ सकते हैं या फिर बहुत हल्के फ्लो के साथ हो सकते हैं।
थायराइड ग्रंथि पर प्रभाव
थायराइड ग्रंथि का सही तरीके से काम न करना, चाहे वह हाइपोथायरायडिज्म हो या हाइपरथायरायडिज्म। दोनों ही स्थिति में पीरियड्स की अनियमितता देखी जा सकती है।
हार्मोनल असंतुलन
हार्मोनल असंतुलन के कारण एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में बदलाव आ सकता है। इससे पीरियड साइकिल गड़बड़ा सकती है और मासिक धर्म कभी जल्दी, कभी देर से आ सकता है।
प्रेग्नेंसी टेस्ट कराएं
गर्भधारण करने के बाद महिलाओं को पीरियड्स नहीं आते। इसलिए, अगर पीरियड में देरी हो रही है तो प्रेग्नेंसी टेस्ट करके यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है।
अगर पीरियड्स लगातार अनियमित रहते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com