अगर प्रेग्नेंसी में किसी महिला को कैंसर हो जाए, तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है। यह मां-बच्चे दोनों के लिए खतरे पैदा कर सकती है। इसलिए, समय पर जांच और इलाज बेहद जरूरी होता है।
एक्सपर्ट की राय
इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केजीएमयू के स्त्री रोग एवं प्रसूता विभाग क्वीनमेरी हॉस्पिटल की पूर्व विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ. विनिता दास से बात की।
स्टडी के अनुसार
प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के एक साल के अंदर कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, जिनमें ब्रेस्ट कैंसर और स्किन कैंसर सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं।
इम्यून सिस्टम में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान शरीर में इम्यून सिस्टम में बदलाव होता है, जिससे कैंसर सेल्स को पहचानने में दिक्कत आती है और उनकी ग्रोथ को शरीर रोक नहीं पाता।
प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर
अगर महिला को कैंसर है तो प्रेग्नेंसी के दौरान खून की कमी, सर्जरी की जरूरत और समय से पहले डिलीवरी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
कैंसर का शिशु पर प्रभाव
गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी यह स्थिति जोखिम भरी हो सकती है। समय से पहले जन्म और कम वजन जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।
कीमोथेरेपी का भ्रूण पर प्रभाव
पहली तिमाही में कैंसर डिटेक्ट होने पर कीमोथेरेपी नहीं दी जाती। इससे भ्रूण पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
रेडियोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी
प्रेग्नेंसी के दौरान रेडियोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे इलाज बहुत सावधानी से किए जाते हैं, जो डॉक्टर की सलाह से ही शुरू की जाती है।
अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान कोई असामान्य लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com