महिलाओं को हर महीने पीरियड्स से गुजरना होता है, लेकिन कभी-कभी ज्यादा ब्लीडिंग यानी मेनोरेजिया की समस्या उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान कर सकती है। ऐसे में आइए स्टार मैटरनिटी हॉस्पिटल विजय लक्ष्मी से जानते हैं पीरियड में ज्यादा ब्लीडिंग के कारण।
हार्मोनल असंतुलन
एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का असंतुलन पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग का मुख्य कारण होता है। यह हार्मोन पीरियड्स साइकिल को संतुलित करते हैं।
यूट्राइन फाइब्रॉएड्स और एडेनोमायोसिस
गर्भाशय में गांठ या फाइब्रॉएड्स और एडेनोमायोसिस जैसी स्थितियां पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग और दर्द का कारण बनती हैं।
यौन इंफेक्शन (STIs)
गोनोरिया, क्लैमाइडिया, ट्राइकोमोनिएसिस जैसे यौन संचारित रोगों के कारण पीरियड्स में ब्लीडिंग बढ़ सकती है। यह इन्फेक्शन गर्भाशय को प्रभावित करते हैं।
प्रेगनेंसी से जुड़ी जटिलताएं
गर्भावस्था से जुड़ी परेशानियां, जैसे गर्भपात या एक्टोपिक प्रेगनेंसी, पीरियड्स जैसी हैवी ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
एनीमिया का खतरा
लगातार हैवी ब्लीडिंग से शरीर में खून की कमी हो सकती है। इससे थकान, चक्कर आना और कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसे नजरअंदाज न करें।
इलाज की जरूरत
अगर हैवी ब्लीडिंग बार-बार हो रही है, तो इसे सामान्य मानकर न छोड़ें। सही जांच और डॉक्टर की सलाह से इसका सही इलाज संभव है।
डाइट और लाइफस्टाइल का ध्यान
संतुलित डाइट, नियमित व्यायाम और तनाव से दूर रहकर पीरियड्स की समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
हर घंटे पैड बदलना, लंबे समय तक ब्लीडिंग, कमजोरी जैसे लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सही समय पर जांच जरूरी है। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com