गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन और कैंसर के बीच संबंध पर कई अध्ययन किए गए हैं। आइए PubMed की एक रिपोर्ट से जानते हैं क्या रहा अध्ययनों का रिजल्ट।
स्तन कैंसर
कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि वर्तमान उपयोगकर्ताओं में स्तन कैंसर का थोड़ा बढ़ा हुआ जोखिम होता है। हालांकि, यह जोखिम गोलियों का सेवन बंद करने के कुछ वर्षों बाद सामान्य हो जाता है।
गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) कैंसर
लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, विशेषकर उन महिलाओं में जो HPV इंफेक्शन से प्रभावित हैं।
अंडाशय (ओवरी) कैंसर से सुरक्षा
गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग अंडाशय कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। जो महिलाएं 10 वर्षों या उससे अधिक समय तक इनका सेवन करती हैं, उनमें इस कैंसर का खतरा 50% तक कम हो सकता है।
गर्भाशय (एंडोमेट्रियल) कैंसर
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन गर्भाशय के कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है। 10 वर्षों तक इनका उपयोग करने से इस कैंसर का खतरा 80% तक घट सकता है।
आंत (कोलोरेक्टल) कैंसर से सुरक्षा
कुछ शोधों से पता चलता है कि गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन आंत के कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है। हालांकि, इस संबंध में और ज्यादा अध्ययन की आवश्यकता है।
लीवर कैंसर
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन लीवर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है, विशेषकर उन महिलाओं में जो लंबे समय तक इनका उपयोग करती हैं।
गोली बंद करने के जोखिम
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन बंद करने के कुछ वर्षों बाद स्तन और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का जोखिम सामान्य हो जाता है।
गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से कैंसर के जोखिम में वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह जोखिम सीमित और अस्थायी होता है। इसके साथ ही, ये गोलियां अंडाशय, गर्भाशय और आंत के कैंसर से सुरक्षा भी प्रदान कर सकती हैं। स्वास्थ्य के संदर्भ में व्यक्तिगत निर्णय लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com