हमारा शरीर तभी स्वस्थ रहता है जब सभी अंग सही से काम करें। नसें हमारे शरीर में खून और ऑक्सीजन को सही तरीके से पहुंचाने का काम करती हैं। अगर नसें कमजोर हो जाएं, तो दिल की बीमारियों से लेकर शरीर के कई हिस्सों में दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में आइए सीनियर फिजिशियन डॉ समीर से जानते हैं इसके लक्षण और इलाज के बारे में।
नसों में कमजोरी क्यों आती है?
नसों की कमजोरी को मेडिकल भाषा में
चोट या दुर्घटना के कारण नसों में सूजन
अगर किसी को गंभीर चोट लग जाए या किसी दुर्घटना की वजह से नसों पर असर पड़े, तो उनमें सूजन आ सकती है। इससे नसें कमजोर हो जाती हैं और दर्द या सुन्न होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का असर
शुगर और हाई बीपी जैसी बीमारियां नसों को प्रभावित कर सकती हैं। इनसे नसों में सही मात्रा में खून और ऑक्सीजन नहीं पहुंचता, जिससे वे धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं।
शरीर में हॉर्मोन का असंतुलन
अगर शरीर में हॉर्मोन सही मात्रा में न बनें, तो इसका सीधा असर नसों की सेहत पर पड़ता है। खासकर थायरॉइड या अन्य हॉर्मोनल बीमारियों से नसें कमजोर हो सकती हैं।
अल्कोहल और नशे की लत
जो लोग ज्यादा शराब या अन्य नशे का सेवन करते हैं, उनकी नसों पर बुरा असर पड़ता है। यह धीरे-धीरे नसों को कमजोर कर देता है और शरीर में झुनझुनी या सेंसिटिविटी जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
कैंसर और कीमोथेरेपी का प्रभाव
कई बार कैंसर और उसके इलाज में दी जाने वाली कीमोथेरेपी दवाओं की वजह से नसें कमजोर होने लगती हैं। यह शरीर की सामान्य कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है।
नसों की कमजोरी के लक्षण
अगर किसी को नसों की कमजोरी हो रही है, तो उसे अक्सर हाथ-पैरों में झुनझुनी, दर्द, सुन्नपन, मांसपेशियों में कमजोरी और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
नसों की कमजोरी से बचने के लिए हेल्दी डाइट और एक्टिव लाइफस्टाइल जरूरी है। अपनी डाइट में हरी सब्जियां, दूध, बादाम और अखरोट को शामिल करें। अगर कोई लक्षण नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें ताकि समय रहते इलाज किया जा सके। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com