आजकल कम उम्र में ही लोगों में हड्डियों से जुड़ी समस्याएं बहुत ज्यादा देखी जा रही हैं। ऑस्टियोपोरोसिस भी इनमें से एक है। आइए, बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आर के यादव से जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में विस्तार से।
ऑस्टियोपोरोसिस क्या होता है?
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियां कमजोर होकर आसानी से टूट जाती हैं। यह समस्या बोन डेंसिटी कम होने से होती है और बढ़ती उम्र के साथ अधिक गंभीर हो जाती है।
कम उम्र में भी हो सकती है हड्डियों की कमजोरी
अब यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही। खराब डाइट, लाइफस्टाइल और पोषण की कमी के कारण युवाओं में भी हड्डियां कमजोर हो रही हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ रहा है।
हड्डियों में क्या होता है बदलाव?
हड्डियों में कैल्शियम, फॉस्फेट और कोलाजेन की कमी से बोन डेंसिटी घटती है। इससे हड्डियां खोखली हो जाती हैं और मामूली चोट या दबाव से भी टूट सकती हैं।
कारण 1 - शारीरिक निष्क्रियता
जो लोग फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते, उनकी हड्डियां समय के साथ कमजोर होने लगती हैं। रोजाना हल्का व्यायाम भी हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
कारण 2 - कैल्शियम व विटामिन D की कमी
डाइट में जरूरी पोषक तत्वों की कमी, खासतौर पर कैल्शियम और विटामिन D, हड्डियों को कमजोर बनाती है। इनकी नियमित मात्रा से ऑस्टियोपोरोसिस से काफी हद तक बचा जा सकता है।
कारण 3 - धूम्रपान और अल्कोहल
ज्यादा स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन हड्डियों की सेहत पर बुरा असर डालता है। ये दोनों चीजें हड्डियों की ताकत को कमजोर बनाकर फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ाती हैं।
अन्य कारण - वजन और बीमारियां
बहुत कम वजन, ज्यादा नमक का सेवन और टीबी जैसी बीमारियां भी हड्डियों की मजबूती को नुकसान पहुंचाती हैं। संतुलित वजन और सही इलाज जरूरी है।
बचाव के उपाय
ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए डाइट में विटामिन D, कैल्शियम और प्रोटीन को शामिल करें। रोज व्यायाम करें, धूप में समय बिताएं और स्मोकिंग से दूर रहें।
अगर हड्डियों में लगातार दर्द, थकावट या बार-बार फ्रैक्चर हो रहे हों, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। सही समय पर इलाज से ऑस्टियोपोरोसिस को नियंत्रित किया जा सकता है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com