अल्जाइमर और डिमेंशिया दोनों ही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर बीमारियां हैं। दुनियाभर में अल्जाइमर और डिमेंशिया के कई मरीज हैं, इन बीमारियों के कई लक्षण एक जैसे हैं, जिसके कारण लोग इन्हें एक समझ बैठते हैं।
डॉक्टर के मुताबिक
अल्जाइमर और डिमेंशिया का अंतर समझने के लिए हमने डॉ प्रवीण गुप्ता (न्यूरोलॉजी विभाग, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम) से बात की।
अल्जाइमर क्या है?
अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे लोग अपनी याददाश्त खोने लगते हैं और दिमाग का काम करना कम हो जाता है। हालांकि, अल्जाइमर के लक्षण ज्यादातर 65 की उम्र के बाद देखने को मिलते हैं।
अल्जाइमर के लक्षण
इसके लक्षण हैं- बातचीत या घटनाओं को याद न रख पाना, कंफ्यूज रहना, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, हाव-भाव में बदलाव, बोलने, निगलने या चलने में परेशानी और सही निर्णय न ले पाना।
डिमेंशिया क्या है?
डिमेंशिया एक सिंड्रोम है न कि बीमारी। सिंड्रोम कई लक्षणों का एक समूह होता है, जिसका कोई खास इलाज संभव नहीं है। डिमेंशिया मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, इसके होने के कई कारण हो सकते हैं।
WHO की रिपोर्ट
लोगों में एक से ज्यादा प्रकार का डिमेंशिया हो सकता है, जिसे मिक्सड डिमेंशिया (mixed dementia) कहा जाता है। WHO के मुताबिक, दुनियाभर में 55 मिलियन से ज्यादा लोग डिमेंशिया के साथ जी रहे हैं।
डिमेंशिया के लक्षण
इसके लक्षण हैं- नाम और चेहरों को याद करने में मुश्किल होना, चीजों को रखकर बहुत जल्दी भूलना, निर्णय लेने में देरी, बातचीत के बीच में अक्सर बातें भूलना, कंफ्यूजन महसूस होना, रोजमर्रा के कामों में परेशानी और मानसिक उलझन और भ्रम।
कारण
डिमेंशिया का कारण कई अलग-अलग बीमारियां हो सकती हैं। इसके कारणों में अल्जाइमर, पार्किंसंस, वस्कुलर डिमेंशिया, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया और अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियां शामिल हो सकती हैं।
फिलहाल, अल्जाइमर और डिमेंशिया का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन इन्हें कंट्रोल करने के लिए कुछ दवाएं और उपचार उपलब्ध हैं। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com