प्रेगनेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद अक्सर बच्चे कई शारीरिक समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) इन्हीं समस्याओं में से एक है। इसका कारण और लक्षण जानने के लिए हमने डॉ. शब्बीर चमडावाला (जनरल पीडियाट्रिशियन, सैफी हॉस्पिटल) से बात की।
डाउन सिंड्रोम क्या है?
डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक कंडीशन है, जो तब होती है जब किसी व्यक्ति के शरीर में एक अतिरिक्त क्रोमोसोम होता है। आमतौर पर इंसान के शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं, लेकिन डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्तियों के शरीर में 47 क्रोमोसोम होते हैं।
डाउन सिंड्रोम की वजह
डाउन सिंड्रोम का मुख्य कारण एक क्रोमोसोम के अतिरिक्त होने से होता है। जब गर्भ में बच्चे का विकास हो रहा होता है, तब उस दौरान किसी कारण से 21 नंबर के क्रोमोसोम का एक अतिरिक्त कॉपी बन जाता है। इसकी वजह से बच्चे के शरीर और ब्रेन के विकास में बदलाव आता है।
डाउन सिंड्रोम के लक्षण
डॉ. शब्बीर के अनुसार इसके शारीरिक लक्षण इस प्रकार हैं- चिपटी नाक और चेहरा, छोटी आंखें, छोटा चेहरा, छोटी गर्दन, छोटे हाथ-पैर, छोटी उंगलियां, छोटा कद और छोटा मुंह जिसके कारण जीभ लंबी दिखती है आदि।
स्वास्थ्य समस्याएं
डाउन सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति को ये समस्याएं हो सकती हैं- हृदय रोग, आंत में तकलीफ, देखने-सुनने में परेशानी, थायरॉयड, ल्यूकीमिया, कमजोर हड्डियां।
डाउन सिंड्रोम की पहचान
डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों का मानसिक विकास सामान्य बच्चों की तुलना में धीमा हो सकता है। डाउन सिंड्रोम का पता जन्म से पहले मां के ब्लड टेस्ट और एम्नियोसेंटेसिस नाम के टेस्ट से लगाया जा सकता है।
डाउन सिंड्रोम का इलाज
डाउन सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है, क्योंकि यह एक जेनेटिक कंडीशन है। लेकिन, समय पर सही देखभाल और चिकित्सा उपचार से डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे और व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
रिसर्च
सेंट्रल डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, 1000 में 1 बच्चे में डाउन सिंड्रोम होने की संभावना होती है। डाउन सिंड्रोम के 30% मामलों में मानसिक रोग होने की संभावना भी होती है।
अगर आप बच्चे में बताए गए लक्षणों को नोटिस करते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हेल्थ से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com