जब हम जरूरत से ज्यादा सोचते हैं, तो दिमाग लगातार एक्टिव रहता है, जिससे मानसिक थकान महसूस होती है। इसकी वजह से शरीर भी सुस्त और थका-थका सा लगने लगता है।
ज्यादा सोचने का प्रभाव
ज्यादा सोचने की आदत नींद पर असर डालती है। दिमाग सोने के वक्त भी विचारों में उलझा रहता है और गहरी नींद नहीं आ पाती।
दिल की धड़कन तेज होना
ओवरथिंकिंग की वजह से चिंता बढ़ती है, जिससे दिल की धड़कन तेज हो सकती है और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।
कोर्टिसोल का लेवल बढ़ना
जब दिमाग बार-बार वही बातें सोचता है, तो स्ट्रेस हार्मोन यानी कोर्टिसोल का लेवल बढ़ जाता है, जिससे शरीर पर बुरा असर पड़ता है।
पेट से जुड़ी दिक्कतें
ज्यादा सोचने वाले लोग अकसर पेट से जुड़ी दिक्कतों जैसे गैस, अपच या भूख न लगने की परेशानी का शिकार हो जाते हैं।
इम्यून सिस्टम कमजोर होना
ओवरथिंकिंग से इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है, जिससे सर्दी-जुकाम या दूसरी बीमारियां जल्दी पकड़ लेती हैं।
आत्मविश्वास में कमी
ज्यादा सोचने से इंसान खुद पर शक करने लगता है और आत्मविश्वास धीरे-धीरे खत्म होने लगता है, जिससे वह कोई फैसला भी नहीं ले पाता।
दिमाग कमजोर होना
लगातार सोचते रहना दिमाग को थका देता है, जिससे याददाश्त पर असर पड़ता है और छोटी-छोटी बातें भी भूलने लगते हैं।
चिड़चिड़ा स्वभाव
ज्यादा सोचने से इंसान चिड़चिड़ा हो जाता है, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगता है और रिश्तों में भी दूरियां आने लगती हैं।
शरीर और दिमाग दोनों को आराम की जरूरत होती है। इसलिए, खुद को पॉजिटिव चीजों में व्यस्त रखें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com