जब दोनों आंखें एक साथ एक बिंदु को नहीं देख पातीं, तो इसे भेंगापन कहते हैं। यह एक सामान्य आंखों की समस्या है, जिसमें आंखें अलग-अलग दिशाओं में देखती हैं।
भेंगापन
हमारी आंखें मांसपेशियों से जुड़ी होती हैं, जो उन्हें एक साथ काम करने में मदद करती हैं। लेकिन, अगर ये मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करतीं, आंखें अलग-अलग दिशा में देखने लगती हैं।
बच्चों पर प्रभाव
भेंगापन की समस्या आमतौर पर बच्चों में देखी जाती है। लेकिन, बड़ों में भी यह तब हो सकती है जब वे मानसिक समस्याओं या स्ट्रोक का शिकार होते हैं।
भेंगापन के प्रकार
भेंगापन तीन प्रकार का होता है- ऐसोट्रोपिया, एक्सट्रोपिया और हाइपरट्रॉपिया। इन तीनों का इलाज अलग-अलग तरीके से किया जाता है, जिनमें चश्मा, थेरेपी और सर्जरी शामिल हो सकते हैं।
ऐसोट्रोपिया
ऐसोट्रोपिया में आंखें नाक की तरफ देखती हैं, जबकि एक्सट्रोपिया में आंखें बाहर की तरफ जाती हैं। हाइपरट्रॉपिया में आंखें ऊपर की तरफ देखती हैं, जो इलाज के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
कारण
भेंगापन के कारणों में ब्रेन ट्यूमर, दिमागी स्ट्रोक, डायबिटीज, रेटिना की समस्या और आंखों के ट्यूमर शामिल हैं। कभी-कभी इसके कारण का पता नहीं चल पाता।
लक्षण
भेंगापन के लक्षणों में आंखों का तिरछा होना, किसी वस्तु को न देख पाना और सिर को झुका कर देखना शामिल हैं। इसके कारण व्यक्ति को बार-बार टकराने की समस्या होती है।
जांच कराना
भेंगापन से बचने के लिए आंखों की नियमित जांच कराना जरूरी है। इसके लिए आई स्पेशलिस्ट से सलाह लेना और रेटिना की जांच कराना जरूरी है।
वयस्कों में होना
भेंगापन की समस्या बच्चों में ज्यादा होती है। लेकिन, वयस्कों में यह लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल और मांसपेशियों की क्षति के कारण हो सकता है।
अगर भेंगापन का इलाज समय रहते न किया जाए, तो यह दृष्टि को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com