रैबिट फीवर, जिसे टुलारेमिया भी कहते हैं, एक गंभीर बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। इसे खरगोश बुखार या हिरण-मक्खी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी तेजी से संयुक्त राज्य अमेरिका में फैल रही है। डिजीज कंट्रोल और प्रीवेंशन सेंटर (सीडीसी) के निर्देशों के आधार पर जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके के बारे में।
यह बीमारी क्यों फैलती है?
रैबिट फीवर एक बैक्टीरिया फ्रांसिसेला टुलारेन्सिस के कारण होता है। यह इंफेक्शन खरगोश, प्रेयरी कुत्तों या दूषित पानी और हवा के संपर्क में आने से फैल सकता है।
कैसे होती है बीमारी की शुरुआत?
यह बीमारी जानवरों के काटने, उनके मांस खाने, या दूषित पानी पीने से हो सकती है। इसके अलावा, संक्रमित धूल या लैब में बैक्टीरिया के संपर्क में आने से भी यह बीमारी फैलती है।
रैबिट फीवर के लक्षण
इस बीमारी के लक्षण हल्के बुखार से लेकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं तक हो सकते हैं। इसमें बुखार, त्वचा पर घाव, सूजन, उल्टी, और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण शामिल हैं।
शरीर पर कैसे असर डालता है?
इंफेक्शन के कारण लिम्फ नोड्स में सूजन, गले में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, और पेट में तकलीफ हो सकती है। गंभीर मामलों में यह भ्रम या सीने में जकड़न का कारण बन सकता है।
रैबिट फीवर के प्रकार
यह बीमारी दो प्रकार की होती है – टाइप ए और टाइप बी। टाइप ए ज्यादा खतरनाक है और अमेरिका में पाया जाता है। टाइप बी हल्के लक्षण पैदा करता है और उत्तरी अमेरिका के बाहर ज्यादा देखा जाता है।
कैसे करें इलाज?
रैबिट फीवर का इलाज एंटी-बायोटिक्स से किया जाता है। बीमारी की पहचान होते ही तुरंत इलाज शुरू करना जरूरी है ताकि इंफेक्शन शरीर में ज्यादा न फैले।
बचाव के तरीके
जानवरों को छूने से पहले दस्ताने और मास्क का इस्तेमाल करें। मांस को अच्छी तरह से पकाकर खाएं और हाथ धोने की आदत अपनाएं और दूषित पानी पीने से बचें।
रैबिट फीवर से बचने के लिए साफ-सफाई और सावधानी रखना बेहद जरूरी है। अगर आप जानरों से संपर्क में रहते हैं तो सतर्क रहें। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com