ऑटोइम्यून रोग तब होते हैं जब हमारा इम्यून सिस्टम शरीर को बचाने की बजाय उसे ही नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
एक्सपर्ट की राय
डॉ. मनन वोरा के अनुसार, ऑटोइम्यून रोगों से बचने के लिए नियमित व्यायाम और योग करना चाहिए। इससे शरीर मजबूत और स्वस्थ रहता है।
हेल्दी लाइफस्टाइल
यह रोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकते हैं। लेकिन, एक अच्छा लाइफस्टाइल अपनाकर इनसे बचा जा सकता है और उन्हें मैनेज किया जा सकता है।
ऑटोइम्यून डिजीज
रेमुटॉइड अर्थराइटिस, एंकेलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस और सोरायसिस जैसी बीमारियां ऑटोइम्यून डिजीज की वजह से हो सकती हैं, जो शरीर में सूजन और दर्द पैदा करती हैं।
मेडिटेशन
मेडिटेशन और रेलेक्सेशन टेक्निक्स भी इस बीमारी को कंट्रोल करने में मदद कर सकती हैं। यह मानसिक शांति ऑटोइम्यून रोगों के मैनेजमेंट में अहम भूमिका निभाती है।
तनाव
तनाव को मैनेज करना बहुत जरूरी है। स्ट्रेस ऑटोइम्यून डिजीज का एक बड़ा कारण बन सकता है, जिससे शरीर और मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
हेल्दी डाइट
संतुलित आहार, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ और ओमेगा 3 फैटी एसिड्स शामिल हों, ऑटोइम्यून डिजीज से बचाव और मैनेजमेंट में मदद करता है।
डॉक्टर से सलाह लें
अगर ऑटोइम्यून डिजीज के लक्षण जैसे त्वचा पर चकत्ते, जोड़ों में दर्द या पेट में समस्याएं दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसका समय रहते इलाज बेहद जरूरी है।
लक्षण
जोड़ों में सूजन और दर्द, कमर में जकड़न या बार-बार बुखार आना, ये ऑटोइम्यून डिजीज के सामान्य लक्षण हो सकते हैं। शरीर में इन लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है।
अपनी डाइट में हेल्दी चीजों को शामिल करके इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com