बदलती लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव के कारण कई गंभीर बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। स्किन कैंसर, जो अब रोजमर्रा की दिनचर्या में बदलावों के कारण ज्यादा आम हो रहा है।
एक्सपर्ट की राय
स्किन कैंसर के बारे में जानने के लिए हमने नई दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एसोसिएट डायरेक्टर- सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डॉ. पंकज कुमार पांडे से बातचीत की।
रिपोर्ट के अनुसार
आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्किन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, जहां पुरुषों में 5.14 और महिलाओं में 3.98 की दर देखी जा रही है।
स्किन कैंसर
स्किन कैंसर तब होता है जब त्वचा की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। यह मुख्यतः उन हिस्सों में होता है, जो सूरज की किरणों के संपर्क में आते हैं, जैसे चेहरा, हाथ और गर्दन।
लक्षण
स्किन कैंसर के लक्षणों में तिल का आकार और रंग बदलना, पुराने तिल में खून बहना और तिल जैसे निशान पर पपड़ी का उतरना शामिल हैं। अगर ऐसा कुछ महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
फेयर स्किन पर प्रभाव
स्किन कैंसर का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है जिनकी त्वचा गोरी होती है, क्योंकि इनकी त्वचा में मेलेनिन का लेवल कम होता है, जिससे सूरज की हानिकारक किरणों का असर ज्यादा पड़ता है।
त्वचा में बदलाव
अगर तिल या त्वचा में अचानक कोई बदलाव नजर आए, जैसे आकार का बढ़ना या रंग का बदलना, तो यह स्किन कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
स्किन कैंसर के प्रकार
स्किन कैंसर के तीन मुख्य प्रकार होते हैं- बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और मेलेनोमा। इन प्रकारों का इलाज अलग-अलग तरीके से किया जाता है, इसलिए सही निदान जरूरी है।
सनस्क्रीन का इस्तेमाल
सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन का उपयोग करें। सूरज के संपर्क से बचने के लिए सही कपड़े पहनें, क्योंकि यह स्किन कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं।
स्किन कैंसर से बचने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में हेल्दी डाइट को शामिल करना जरूरी है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com