देशभर में डेंगू के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। डेंगू की सही पहचान के लिए केवल प्लेटलेट्स काउंट देखना काफी नहीं होता। इसकी सटीक जांच के लिए एलिसा टेस्ट जरूरी होता है। यह टेस्ट शरीर में डेंगू वायरस की मौजूदगी और उसकी स्टेज को साफ तौर पर बताता है।
एक्सपर्ट से जानें
तो आइए, एसएस स्पर्श अस्पताल (बेंगलुरु) के सीनियर कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन डॉ. एस.जी.हरीश से विस्तार में जानते हैं एलिसा टेस्ट के बारे में।
एलिसा टेस्ट क्या है?
एलिसा एक ब्लड टेस्ट है जिससे डेंगू की पुष्टि की जाती है। यह टेस्ट एंटीजन और एंटीबॉडी को डिटेक्ट करता है, जिससे सटीक जानकारी मिलती है।
कैसे काम करता है एलिसा टेस्ट?
मरीज का ब्लड मशीन में डालने पर NS1, IGM और IGG एंटीबॉडी डिटेक्ट होती हैं। इससे बीमारी की स्टेज और पहले डेंगू होने की जानकारी भी मिलती है।
क्यों जरूरी है ELISA टेस्ट?
सिर्फ प्लेटलेट्स काउंट से डेंगू का सटीक पता नहीं चलता। एलिसा टेस्ट से डेंगू की पक्की पुष्टि होती है, इसलिए यह बेहद जरूरी होता है।
कब करवाएं एलिसा टेस्ट?
तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों में दर्द, रैशेज और कमजोरी जैसे लक्षण दिखने पर एलिसा टेस्ट कराना चाहिए। खासकर प्लेटलेट्स कम होने पर यह टेस्ट जरूरी है।
कई बीमारियों में घट सकते हैं प्लेटलेट्स
मलेरिया या वायरल इंफेक्शन में भी प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं। सिर्फ CBC टेस्ट से डेंगू की पुष्टि नहीं होती, इसलिए एलिसा टेस्ट अहम है।
रिपोर्ट आने में कितना समय लगता है?
एलिसा टेस्ट की रिपोर्ट आने में 2-3 दिन लगते हैं। रिपोर्ट से यह तय किया जाता है कि व्यक्ति को डेंगू है या नहीं।
डेंगू से बचाव के लिए घर के आसपास पानी जमा न होने दें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और फुल कपड़े पहनें। डेंगू के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। हेल्थ से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com