आजकल की खराब लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी जिंदगी का हमारी मानसिक सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है, जिससे बेचैनी और एंग्जाइटी जैसी समस्या महसूस होने लगती है।
एक्सपर्ट की राय
इस विषय पर हमने बेहतर जानकारी के लिए सर गंगाराम हॉस्पिटल की सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ आरती आनंद से बात की।
दिल की धड़कन तेज होना
एंग्जाइटी होने पर दिल की धड़कन तेज हो जाती है, सांसें तेज चलने लगती हैं और व्यक्ति को अंदर से डर या घबराहट महसूस होती है। इससे वह किसी भी काम पर ध्यान नहीं दे पाता।
स्ट्रेस लेना
बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने पर हमारा दिमाग बार-बार उन्हीं बातों को सोचता रहता है जिससे हम परेशान होते हैं। इसी से एंग्जाइटी की शुरुआत हो जाती है, जो धीरे-धीरे बढ़ सकती है।
हेल्थ प्रॉब्लम
अगर शरीर में कोई हेल्थ प्रॉब्लम है या व्यक्ति किसी मानसिक परेशानी से गुजर रहा है, तो भी एंग्जाइटी का अनुभव हो सकता है, जिसमें व्यक्ति मानसिक रूप से असहज महसूस करता है।
गंभीर समस्याएं
खाने-पीने की आदतों में गड़बड़ी, जैसे कैफीन का ज्यादा सेवन या मील स्किप करना, ब्लड शुगर और हार्मोन इंबैलेंस पैदा कर सकते हैं, जो एंग्जाइटी को बढ़ावा देते हैं।
घबराहट होना
कोई बात अगर हमें बहुत ज्यादा हर्ट कर देती है या किसी सदमे से हम नहीं उबर पाते, तो भी दिमाग उस स्थिति को स्वीकार नहीं कर पाता और हमें बेचैनी या घबराहट होने लगती है।
नकारात्मक विचार
अगर हम बार-बार निगेटिव सोचते हैं और भविष्य को लेकर चिंता में रहते हैं, तो यह सोच हमारे दिमाग पर असर डालती है। यह मानसिक स्थिति को और खराब कर देती है।
योग और मेडिटेशन
एंग्जाइटी से राहत पाने के लिए मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज या योग जैसी तकनीकें बहुत फायदेमंद हो सकती हैं, जो हमारे दिमाग को शांत करने में मदद करती हैं।
अगर आपको बार-बार एंग्जाइटी हो रही है, तो डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com