आजकल बाजार की सब्जियां और फल पहले जैसे नहीं रहे। न तो उनका स्वाद वैसा है, न ही सुगंध। भले ही हम कितना भी खा लें, शरीर को पौष्टिकता महसूस नहीं होती। इसकी वजह है, कैमिकल्स और मिलावट। ऐसे में आइए डॉ. नागेंद्र सिंह से जानते हैं केमिकल वाले फल और सब्जियों में अंतर करना सीखते हैं।
तेज मुनाफे के लिए हानिकारक खेती
तेजी से उत्पादन और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसान केमिकल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऑर्गेनिक खेती समय और मेहनत ज्यादा मांगती है, इसलिए लोग इसकी जगह कैमिकल युक्त खेती को चुन रहे हैं।
सब्जियों में इंजेक्शन का इस्तेमाल
लौकी, भिंडी, तरबूज जैसी सब्जियों और फलों को जल्दी बड़ा करने के लिए ऑक्सीटोसिन जैसे इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इससे वे देखने में सुंदर लगते हैं, लेकिन हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं।
चमकदार फल और सब्जियों से बचें
कई दुकानदार ताजी और हरी दिखने वाली सब्जियां बेचने के लिए उन पर केमिकल युक्त रंग लगा देते हैं। फलों को चमकदार बनाने के लिए उन पर मोम की पॉलिशिंग की जाती है।
क्या आप बीमारी खरीद रहे हैं?
कैमिकल से भरी सब्जियों और फलों को खाने से फूड प्वाइजनिंग, पेट दर्द, लीवर-किडनी की समस्या और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि हमें ऑर्गेनिक सब्जियां ही खानी चाहिए।
मिलावटी सब्जियों की पहचान कैसे करें?
अगर सब्जियों में दाग-धब्बे ज्यादा हैं, तो संभव है कि वे कैमिकल युक्त हों। भिंडी को तोड़कर देखें, अगर आसानी से टूटती है तो ताजी है। लौकी में नाखून दबाकर देखें, अगर अंदर चला जाता है तो वह फ्रेश है।
फलों पर लगा मोम कैसे पहचानें?
सेब, संतरा और पपीते पर मोम की पॉलिश होती है। इसे पहचानने के लिए फल की सतह को हल्का खरोंचें, अगर परत निकलने लगे तो यह मोम लगा हुआ है और इसे नहीं खरीदना चाहिए।
नकली रंग की पहचान ऐसे करें
अगर सब्जी पर कोई मिलावटी रंग लगा है तो उसे सूती कपड़े से रगड़ें। अगर कपड़े पर रंग आ जाए, तो समझ लें कि वह केमिकल युक्त है और इसे खाने से बचना चाहिए।
सभी लोग खेती नहीं कर सकते, लेकिन हम ऑर्गेनिक सब्जियों को अपना सकते हैं। ये महंगी जरूर होती हैं, लेकिन सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं। इसलिए समझदारी से खरीदारी करें और कैमिकल से बचें। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com