भारत के हर घर में इस्तेमाल होने वाला बेसन अब मिलावट का शिकार है। इसके सेवन से स्वाद ही नहीं, सेहत पर भी असर पड़ता है। आइए जानते हैं कैसे फर्क करें असला और नकली बेसन में।
कैसे बनता है असली बेसन
असली बेसन चने को पीसकर बनाया जाता है। इसकी खुशबू और रंग अलग होता है, जो इसके शुद्ध और पौष्टिक होने का संकेत देता है।
कैसे होती है मिलावट?
मिलावटखोर बेसन में मक्का, मटर दाल, सूजी, चावल या गेहूं का आटा मिलाते हैं। इसमें सिर्फ 25-30% असली बेसन होता है।
क्यों होती है मिलावट
बेसन की बढ़ती मांग और मुनाफा कमाने की चाहत में दुकानदार मिलावटी बेसन बेचते हैं। यह कानूनन अपराध है लेकिन फिर भी जारी है।
मिलावटी बेसन के नुकसान
मिलावटी बेसन से जोड़ों का दर्द, पेट की दिक्कतें और लंबे समय में विकलांगता जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
हाइड्रोक्लोरिक एसिड टेस्ट
बेसन को पानी में घोलें, फिर 1-2 चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालें। रंग बदलने पर समझें मिलावट है। असली बेसन में कोई रंग नहीं आता।
नींबू और एसिड से पहचान
2 चम्मच बेसन में नींबू रस और हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाएं। लाल या भूरा रंग आने पर वह मिलावटी है। असली में रंग नहीं बदलेगा।
क्या करें बचाव के लिए
बाजार से खरीदे बेसन की जांच जरूर करें। विश्वसनीय ब्रांड चुनें, लोकल ग्राइंडिंग मिल से बेसन पिसवाना एक बेहतर विकल्प है।
मिलावटी बेसन से सिर्फ स्वाद नहीं, आपकी सेहत भी खतरे में है। शुद्धता जांचें और परिवार को सुरक्षित रखें। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com