रात को देर तक मोबाइल चलाना आजकल आम बात है। लेकिन क्या इसका असर हमारे ब्लड शुगर पर पड़ता है? चलिए जानते हैं।
स्क्रीन टाइम और नींद का रिश्ता
रात को मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी (ब्लू लाइट) हमारे दिमाग को अलर्ट रखती है। इससे नींद आने में देरी होती है।
नींद की कमी से क्या होता है?
जब नींद पूरी नहीं होती, तो शरीर का इंसुलिन पर कंट्रोल कमजोर हो जाता है। इससे शरीर में शुगर का लेवल असंतुलित हो सकता है।
नींद और ब्लड शुगर का गहरा संबंध
Diabetologia Journal की एक स्टडी के अनुसार, वैज्ञानिकों ने पाया है कि खराब नींद ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की क्षमता को कम कर देती है, खासकर खाने के बाद।
ब्लू लाइट और हार्मोन गड़बड़ी
मोबाइल की ब्लू लाइट मेलाटोनिन नामक हार्मोन को दबा देती है। यही हार्मोन अच्छी नींद लाने में मदद करता है।
तनाव और कोर्टिसोल का असर
रात को मोबाइल या सोशल मीडिया से दिमाग एक्टिव रहता है, जिससे तनाव बढ़ता है। तनाव से कोर्टिसोल बढ़ता है, जो ब्लड शुगर को ऊपर ले जाता है।
क्या कहती है रिसर्च?
कुछ स्टडीज ने दिखाया है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है।
सीधा असर नहीं दिखता
रात में मोबाइल चलाने से सीधा ब्लड शुगर नहीं बढ़ता, लेकिन नींद और हार्मोन में बदलाव के कारण इसका असर पड़ सकता है।
सोने से 1 घंटा पहले मोबाइल का इस्तेमाल बंद करें। अंधेरे में स्क्रीन न देखें। अपनी नींद का समय तय रखें ताकि ब्लड शुगर कंट्रोल में रहे। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com