कम सोने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ते हैं, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है और ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित हो सकता है। इससे डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।
एक्सपर्ट की राय
इस बारे में जानने के लिए हमने ग्लोबल हॉस्पिटल, मुंबई की कंसल्टेंट डायबेटोलॉजिस्ट डॉक्टर आरती उल्लाल से बातचीत की।
बार-बार पेशाब आना
रात में बार-बार पेशाब आने से नींद प्रभावित होती है, जिससे शरीर को पूरा आराम नहीं मिल पाता और ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव आता है।
डायबिटीज का खतरा
नींद की कमी से खानपान की आदतें प्रभावित होती हैं, जिससे लोग ज्यादा कैलोरी और शुगर युक्त आहार का सेवन करने लगते हैं। इससे मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया
डायबिटीज रोगियों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की संभावना ज्यादा होती है, जिससे उनकी नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
मानसिक तनाव
नींद की कमी से थकान और मानसिक तनाव बढ़ता है, जिससे व्यक्ति शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं रहता और एक्सरसाइज करने से बचता है, जिससे डायबिटीज के लक्षण और अधिक गंभीर हो सकते हैं।
हेल्दी लाइफस्टाइल
ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके नींद में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए संतुलित आहार, नियमित एक्सरसाइज और समय पर सोने की आदत अपनाने से काफी मदद मिल सकती है।
कोर्टिसोल हार्मोन रहेगा कंट्रोल
सोने का एक नियमित समय निर्धारित करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे कोर्टिसोल हार्मोन कंट्रोल रहता है और शरीर में इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग होने में मदद मिलती है।
नींद न आने के कारण
कैफीन, निकोटीन और देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखने से बचना चाहिए। यह मेलाटोनिन हार्मोन को प्रभावित करता है, जिससे नींद न आने की समस्या हो सकती है।
हेल्दी लाइफस्टाइल और अच्छी नींद से ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com