सारकोमा एक दुर्लभ कैंसर है जो हड्डियों और नरम टिशू में शुरू होता है। यह सिर से लेकर पैरों तक शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। आइए ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रेशमा पुराणिक से जानते हैं इसके इलाज के बारे में।
सारकोमा के प्रकार
सारकोमा के 70 से ज्यादा प्रकार होते हैं। ये हड्डियों, मांसपेशियों, वसा, नसों और ब्लड वेसेल्स में हो सकते हैं। कुछ प्रकार बच्चों में भी होते हैं।
कैसे बनता है सारकोमा?
जब कोशिकाओं के DNA में बदलाव या म्यूटेशन होता है, तब सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। यही असामान्य वृद्धि सारकोमा कैंसर का कारण बनती है।
कौन हो सकता है प्रभावित?
सारकोमा किसी भी उम्र या लिंग में हो सकता है। हालांकि, वयस्कों में इसका प्रतिशत सिर्फ 1-2% होता है। यह पुरुषों और महिलाओं, दोनों को प्रभावित कर सकता है।
सारकोमा के लक्षण
त्वचा पर गांठ बनना, हड्डियों में लगातार दर्द, पेट में सूजन, अचानक वजन कम होना जैसे लक्षण सारकोमा के संकेत हो सकते हैं। इनकी अनदेखी ना करें।
महिलाओं में सारकोमा
महिलाओं में गर्भाशय का लेयोमायोसारकोमा सबसे आम प्रकार है। यह आमतौर पर 50 से 70 वर्ष की उम्र में होता है। यह कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है।
सारकोमा के खतरे
सारकोमा ब्लड सर्कुलेशन के जरिए फेफड़ों या अन्य अंगों तक फैल सकता है। अगर समय रहते इलाज न मिले, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। मृत्यु दर ज्यादा है।
इलाज के विकल्प
प्रारंभिक अवस्था में सर्जरी से इलाज संभव है। कुछ मामलों में कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी की जरूरत पड़ती है, खासकर जब कैंसर शरीर में फैल चुका हो।
सारकोमा का समय पर निदान बेहद जरूरी है। लक्षणों को नजरअंदाज न करें। शुरुआती जांच और सही इलाज से मरीज को बेहतर जीवन मिलने की संभावना बढ़ती है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com