कई बार मामूली लक्षण गंभीर बीमारी बन सकते हैं। डॉ. अर्जुन गोयल (सर्वोदय अस्पताल, फरीदाबाद) के अनुसार, थाइमस कैंसर एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक रोग हो सकता है।
थाइमस ग्रंथि कहां होती है?
डॉ. अर्जुन गोयल बताते हैं कि थाइमस ग्रंथि छाती की हड्डियों के पीछे होती है। यह टी-सेल्स बनाती है, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में अहम भूमिका निभाती है।
थाइमस कैंसर के लक्षण
सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, लगातार खांसी और निगलने में परेशानी, ये लक्षण थाइमस कैंसर के हो सकते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
कैंसर बनने के कारण
एपिथिलियल सेल्स या लिम्फोसाइट्स की असामान्य ग्रोथ थाइमस कैंसर का कारण बन सकती है। यह वृद्धि थाइमोमा, थाइमिक कार्सिनोमा या लिंफोमा जैसी गंभीर स्थिति में बदल सकती है।
कैंसर बनने के कारण
एपिथिलियल सेल्स या लिम्फोसाइट्स की असामान्य वृद्धि थाइमस कैंसर का कारण बन सकती है। यह वृद्धि थाइमोमा, थाइमिक कार्सिनोमा या लिंफोमा जैसी गंभीर स्थिति में बदल सकती है।
थाइमस ट्यूमर की शुरुआत
करीब 90% थाइमस कैंसर के मामले थाइमस ग्लैंड में बनने वाले ट्यूमर से शुरू होते हैं। शुरुआत में लक्षण हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ स्थिति गंभीर हो जाती है।
VATS थाइमेक्टोमी से इलाज
जब कैंसर थाइमस तक सीमित होता है, तो डॉक्टर VATS थाइमेक्टोमी प्रक्रिया से ग्रंथि निकालते हैं। यह कम आक्रामक सर्जरी है, जिसमें हड्डी नहीं काटी जाती है।
VATS सर्जरी के लाभ
इस सर्जरी से मरीज को कम दर्द, छोटे चीरे, जल्दी छुट्टी और इंफेक्शन का कम खतरा होता है। यह पारंपरिक सर्जरी की तुलना में काफी सुरक्षित और सुविधाजनक मानी जाती है।
सर्जरी के बाद रिकवरी
VATS के बाद मरीज को जल्दी होश आता है। फिजियोथेरेपी से रिकवरी तेज होती है। कुछ ही दिनों में व्यक्ति सामान्य जीवनशैली की ओर वापस लौट सकता है।
अगर सांस, सीने या निगलने से जुड़ी परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। थाइमस कैंसर का समय पर इलाज जान बचा सकता है। टेस्ट में देरी न करें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com