बवासीर की समस्या असंतुलित खानपान और घंटों तक बैठे रहने के कारण होती है, जिससे शरीर में गड़बड़ी आ जाती है और खून की नसों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे मरीजों को दर्द और ब्लीडिंग की समस्या का सामना करना पड़ता है।
चांगेरी घास के फायदे
चांगेरी घास, जिसे तिनपतिया घास भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसे बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं।
पोषक तत्वों से भरपूर
चांगेरी घास में विटामिन-सी, कैल्शियम, कैरोटीन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन को सुधारने और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं।
चांगेरी घास खाने का तरीका
खूनी बवासीर के मरीजों के लिए चांगेरी घास की पत्तियां बहुत फायदेमंद होती हैं। इसे घी में भूनकर दही के साथ खाने से शरीर को राहत मिलती है और बवासीर के कारण होने वाली ब्लीडिंग कम होने लगती है।
पाचन में सुधार
बवासीर के मरीज चांगेरी घास की पत्तियों को पीसकर सेवन कर सकते हैं, जिससे शरीर में पाचन प्रक्रिया सुधरती है और मल त्याग में होने वाली तकलीफ कम होती है, जिससे बवासीर की समस्या धीरे-धीरे ठीक होने लगती है।
पेट की समस्या
चांगेरी घास सिर्फ बवासीर के लिए ही नहीं बल्कि दस्त, डायरिया और कब्ज जैसी पेट की समस्याओं को दूर करने में भी बहुत फायदेमंद होती है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और पाचन क्रिया बेहतर बनी रहती है।
दांतों की समस्या से राहत
जिन लोगों को मसूड़ों में दर्द, मुंह से बदबू आने या दांतों की कमजोरी की समस्या होती है, वे भी चांगेरी घास का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व मुंह की सफाई करने और मसूड़ों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
माइग्रेन
माइग्रेन या अधकपारी की समस्या से परेशान लोग भी चांगेरी घास का उपयोग कर सकते हैं। यह शरीर को ठंडक पहुंचाती है और सिरदर्द को कम करने में मदद करती है, जिससे माइग्रेन से राहत मिलती है।
तला-भुना और मसालेदार खाने से बचें
बवासीर के मरीजों को ज्यादा तला-भुना और मसालेदार खाना खाने से बचना चाहिए। यह पाचन क्रिया को प्रभावित करता है और मल त्याग में परेशानी बढ़ाकर बवासीर के लक्षणों को और गंभीर बना सकता है।
बवासीर की समस्या में घरेलू उपचार से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com