पोकवीड: इस हर्ब्‍स के गुणों के बारे में जानें

बारहमासी जड़ीबूटी पोकवीड एंटीबायोटिक, एंटी-इंफ्लेमेंटरी और एंटी-टयूमर गुणों से भरपूर है जो कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने में मददगार होती है, आइए इस आर्टिकल के माध्‍यम से जानें कैसे।
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पोकवीड: इस हर्ब्‍स के गुणों के बारे में जानें


पोकवीड एक बारहमासी जड़ीबूटी है, जो पूर्वी उत्‍तर अमेरिका का मूल निवासी है और दुनिया भर में इसकी खेती की जाती है। इसके बेरीज् और सूखी जड़ों का इस्‍तेमाल हर्बल उपचार में किया जाता है। पोकवीड सप्‍लीमेंट अर्क, टिंचर, पाउडर और पुलटिस के रूप में उपलब्‍ध है। पोकवीड के लिए कोई मानक खुराक निश्‍चित नहीं हैं।

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पोकवीड के गुण

पोक एंटीबायोटिक, एंटी-इंफ्लेमेंटरी, एंटी-रूमेटिक, एंटी-स्कर्वीजनक, एंटी-सिफिलिटिक और एंटी-ट्यूमर के रूप में कार्य करता है। इस संयंत्र के कुछ हिस्‍सों जैसे बेरीज् और जड़ों को हर्बल उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। पोकवीड एक तीखी कड़वी जड़ी-बूटी है जो प्रतिरक्षा और लसीका प्रणालियों के कार्य में मददगार होती है।


बीमारियों के लिए पोकवीड

पोकवीड की जड़ का इस्‍तेमाल दर्दनाक मसल्‍स, जोड़ों (गठिया) के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही यह नाक, गला, और सीने में सूजन के अलावा टांसिलाइटिस, कर्कश गले, लसीका ग्रंथियों की सूजन, ब्रेस्‍ट में दर्द और सूजन किया जाता है। परंपरागत रूप से, हालांकि, पोकवीड जड़ का इस्‍तेमाल कभी कभार ही करना चाहिए। अमेरिका के मूल निवासी पोकवीड का चिकित्‍सा के रूप में इसकी  जड़ का सबसे आम उपयोग उल्‍टी को प्रेरित करने के लिए रेचक के रूप में होता है। बेरीज् को भोजन में रंग एजेंट के रूप में भी इस्‍तेमाल किया जाता है, और वास्तव में अभी भी खाद्य उद्योग में इसका प्रयोग किया जाता है। जब इसे कच्‍चा खाया जाता है तो संयंत्र द्वारा उत्‍पादित एंजाइम जैसे लेक्टिंस लाल रक्‍त कोशिकाओं आपस में जुड़ जाती है।
 
लेक्टिंस चिपकने वाले प्रोटीन हैं। ऐसे लेक्टिंस जो ब्लड टाइप के साथ मेल नहीं खाते, शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। भोजन से आने वाले कई लेक्टिंस हानिकारक नहीं होते हैं, लेकिन थोड़ा बहुत असर होता है। अगर ये लेक्टिंस ब्लड ग्रुप के साथ मेल नहीं खाता, तो शरीर में जलन, सूजन हो सकती है। पोकवीड को अवसादरोधी दवाओं, डिसुलफिरम (Antabuse), ओरल गर्भ निरोधकों और प्रजनन की दवाएं ले रहे लोगों को द्वारा प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। हमेशा किसी भी जड़ी बूटियों कको लेने से पहले अपने चिकित्सक और फार्मासिस्ट बताओ।


पोकवीड को इस्‍तेमाल कैसे करें

परंपरागत रूप से, पोकवीड के लाल पत्‍तों को लाकर पानी में उबलकर, अच्‍छे से निचोड़कर निकाल लें। फिर एक बार और उबला लें। ऐसा  कम से कम तीन बार करना चाहिए और हर बार पानी को बाहर फेंक देना चाहिए। इन उबले हुए पत्‍तों का इस्‍तेमाल सलाद के रूप में या चाय के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा, यंग शूट को शतावरी के विकल्‍प के रूप में भी खाया जा सकता है।

बेरीज् से रेड जूस निकाल कर फिर इसे पकाया जाता है। इस जूस का इस्‍तेमाल पाइ बनाने के लिए किया जाता है। इसका इस्‍तेमाल अन्‍य जूस में जेली बनाने के लिए भी किया जाता है। पोकवीड के किसी भी हिस्‍से को कच्‍चा, असंसाधित नहीं खाया जा सकता है।


महिलाओं के लिए पोकवीड

पोक‍वीड महिलाओं की कई विशिष्ट बीमारियों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एंडोमेट्रिओसिस, पोकवीड के निर्धारित उपयोग के साथ हटाया जा सकता है। पीरियड्स से पहले ब्रेस्‍ट और पेट में दर्द को भी इसके इस्‍तेमाल से दूर किया जा सकता है। पोकवीड की जड़ में थोड़ी सी मात्रा मे तेल मिलाकर पेट पर हल्‍के हाथों से रगड़ने से आराम मिलता है। वैकल्पिक रूप से टिंचर की कम खुराक इस्‍तेमाल की जानी चाहिए। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस एक और भड़काऊ बीमारी है जिसे इसी टिंचर से ठीक किया जा सकता है। बवासीर के दर्द को भी इसकी जड़ों के सत्‍व से ठीक किया जा सकता है।


अर्थराइटिस

पुराने दिनों से, रूमेटाइड अर्थराइटिस से जुड़े दर्द और सूजन को दूर करने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाता है। इसके लिए टिंचर उपयोगी है। वैकल्पिक रूप से एक या दो सूखी बेरी लेकर उसे पूरा ही खा लें। बहुत कम मात्रा में टिंचर का इस्‍तेमाल सिर दर्द को कम करने के लिए इस्‍तेमाल करना चाहिए।


प्रतिरक्षा प्रणाली में मजबूती

पोकवीड में प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित रोगों के इलाज की क्षमता भी होती है, क्‍योंकि इसमें एंटी एड्स दवा के गुण और क्षमता होती है। यह प्रचुर मात्रा में टी-कोशिकाओं पर परस्पर प्रभाव डालकर  
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।


श्वसन संक्रमण का इलाज

पोकवीड के काढ़े का सामान्‍यत गले में दर्द और टांसिलाइटिस, ग्रसनीशोथ, अपच जैसे श्वसन संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है; यह ग्रंथियों की सूजन और पुराने संक्रमण के इलाज में भी कारगर है।


कैंसर का इलाज

जल्‍द ही पोकवीड ने कैंसर का इलाज करने की क्षमता हासिल कर लोक्रिपयता प्राप्‍त कर ली है, विशेष रूप से स्‍तन और गर्भाशय के कैंसर के लिए। शोधों से पता चला है कि कैंसर की प्राकृतिक चिकित्‍सा के लिए यह जड़ी-बूटी बहुत ही फायदेमंद है। पोक की जड़ एंटीटॉक्सिन थेरेपी का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है जो कुछ प्रकार के ट्यूमर के विकास में बाधा उत्‍पन्‍न करने के लिए इस्‍त‍ेमाल किया जाता है।

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Image Souce : Getty

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