अस्थमा के विकास तथा विस्तार से कई पर्यावरणीय कारक जुड़े हुए हैं, जिनमें एलर्जी कारक तत्व, वायु प्रदूषण तथा अन्य पर्यावरणीय रसायन शामिल हैं। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान तथा इसके बाद किया गया धूम्रपान अस्थमा जैसे लक्षणों के गंभीर जोखिम से जुड़ा है। ट्रैफिक प्रदूषण के कारण निम्न वायु गुणवत्ता या उच्च ओज़ोन स्तर, अस्थमा के विकास तथा इसकी बढ़ी हुई गंभीरता से जुड़ा है। घर के भीतर के अस्थिर कार्बनिक यौगिकों अस्थमा के कारण हो सकते हैं, अस्थमा, घर के भीतर उपस्थित एलर्जी कारकों के साथ अनावरण से संबंधित है। घर के भीतर के आम एलर्जी कारकों में धूल वाले घुन, कॉकरोच, जानवरों के बालों की रूसी तथा फफूंद शामिल हैं।
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घर को कैसे करें एलर्जी से मुक्त
पालतू जानवरों की वेक्सिनेशन
देखिये यदि घर में वृद्ध लोग या छोटे बच्चे हों तो कोशिश करें कि पालतू जानवर ना ही पालें। और यदि पहले से ही कोई पालतू जानवर है तो जब आप किसी प्रकार की एलर्जी से बचने के लिए उसे साफ रखें और उसकी एलर्जी वैक्सिनेशन भी कराएं।
घर को करें डिटॉक्सीफाई
घर को डिटॉक्सीफाई ज़रूर करें। आप जिन चीजों से एलर्जिक है, वे आपके घर में कई प्रकार से आ सकती हैं। जैसे, आपको धुएं से एलर्जी है और कोई सिगरेट पिएं तो आपको परेशानी होगी। इसलिए बेहतर होगा कि आप इसे पूरी तरह वर्जित कर दें। धूम्रपान करने से घर में कई प्रकार के विषैले तत्व भी फैल जाते है जो घर में रहने वाले लोगों को हानि पहुंचाते है। सिगरेट बाहर करें और घर को डिटॉक्सीफाई करें।
पैस्ट कंट्रोल
घर में कीट और मच्छरों को मारने का प्रबंध करें। दीमक, मक्खी और मच्छर से भी एलर्जी होती है और वैसे भी इन कीटों का घर में न रहना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। इसलिए अपने घर में हर सप्ताह पेस्टीसाइड छिड़कें, ताकि कोई कीट घर में न पनप पाएं। इसके लिए आप इलेक्ट्रिकल या मैकेनिकल तरीका भी अपना सकते हैं।
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जानवरों का ख्याल रखें
कुछ लोगों को घर में जानवर रखना जैसे, कुत्ता, बिल्ली, खरगोश आदि रखना बेहद पसंद होता है, लेकिन आपको और बच्चों को इनकी फर से एलर्जी हो सकती है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप उनका पूरा ध्यान रखें, उन्हें साफ–सुथरा रखें और उचित दूरी बनाएं। जानवरों के रहने और खाने का इंतजाम घर के एक एलग हिस्से में करें जहां आपका सोना या खाना न होता हो।
तीखी सुंगध से बचें
किसी भी प्रकार की तीखी सुंगध से बचें। अगर आपको तीखी महक या खुशबू से एलर्जी है तो घर में इस्तेमाल किए जाने वाले रूम फ्रेशनर को जांच -पड़ताल कर सही फ्रेगनेंस का ही लें। घर में ज्यादा तीखी सुंगध होने से लगातार छींक, सिरदर्द और जुकाम की समस्या हो सकती है। घर में ताजी हवा आने का भी प्रबंध रखें।
धूल से रहें दूर
जिन लोगों को धूल से एलर्जी होती है वे खुद के घर को धूलरहित बनाने के कई प्रसाय कर सकते हैं। पूरे घर में मिट्टी या धूल जमा न होने दें। बिस्तर साफ रखें। घर के कोनों में धूल न जमने दें और सभी फर्नीचर की रोज डस्टिंग करें। आपने पूरे घर में कालीन या दरे ना बिछाएं। दरअसल, इनमें जमने वाली धूल-मिट्टी से बच्चे को इंफेक्शन व एलर्जी होने की आशंका रहती है। और यदि ये हैं भी तो महीने में एक दो बार अन्हें साफ कर धूप में रखें।
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