आयुर्वेद के इलाज में एक ऐसी थेरेपी भी हैं जिसको लेने से आपकी काफी बीमारिया ठीक हो जाती हैं एवं स्वस्थ रहने के लिए भी यह मसाज काफी फायदेमंद हैं। इस थेरेपी को शिला अभियंगा कहा जाता है जो कि स्टोन मसाज होती है। इस आयुर्वेदिक थेरेपी में हर्बल आयुर्वेदिक तेल और एक प्रकार का पत्थर इस्तेमाल होता है। यह मसाज परंपरागत रूप से संचार प्रणाली को बेहतर बनाने, मसल्स को मुलायम बनाने और रिलेक्स करने, टॉक्सिन्स को निकालने, दर्द से छुटकारा पाने और डीप रिलेक्सेशन के लिए होती है। रोज़ अभ्यंग मसाज करने से दोषों के संतुलन को पुनर्स्थापित करा जा सकता हैं एवं इससे कल्याण और इससे दीर्घायु भी होती हैं।
इसे भी पढ़ें: डिप्रेशन दूर कर 10 जानलेवा बीमारियों से बचाती हैं ये 4 औषधियां
इस मसाज में सबसे पहले शरीर पर तेल लगाया जाता है जिससे की तनाव दूर होता है और शरीर के मर्मा (फिजिकल और ऐनर्जेटिक) बिंदु खुल जाते हैं। इसके बाद शिला को गर्म पानी में डुबाकर शरीर के मुख्य बिंदुओं पर रखा जाता है, थेरेपिस्ट रूम टेम्परेचर पर क्रिस्टल्स का भी इस्तेमाल होता हैं जो शरीर पर रखकर चक्र सिस्टम के साथ हार्मोन को भी संतुलित करते हैं। इसमें स्टोन को तेल लगी हुई मसल्स के ऊपर रखा जाता है और इसमें पैने स्टोन का भी इस्तेमाल डीप मसाज के लिए होता है।
क्यों इस्तेमाल किया जाता हैं इसमें पत्थर
स्वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्सालय की डॉ. दिव्या के मुताबिक, स्टोन (पत्थर) ऊष्मा के अच्छे संचालक माने जातें हैं, इसलिए इस थेरेपी में पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है जिससे काफी फायदे होते हैं जेसे-
- स्टोन थेरेपी से शरीर और मन दोनों को बहुत आराम पहुंचता है।
- इन्हें उच्च, मध्यम और निम्न थर्मल रेडियंस की जगह लिया जा सकता है।
- स्टोन की गर्माहट से शरीर से पूरा तनाव दूर हो जाता है और चिंता दूर हो जाती है।
- स्टोन और स्पटिक हमारे शरीर के असंतुलन को दूर कर देते हैं।
इसे भी पढ़ें: क्या आप भी परिवार से दूर रहने पर महसूस कर रहे हैं अकेलापन?
अभ्यंग मसाज के फायदे
इस मसाज के कई फायदे है जैसे की शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में लाभ होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जोड़ों में नमी पहुँचती है और विजातीय द्रव्य शरीर से बाहर हो जाते है एवं स्फूर्ति, चुस्ती का भी आभास होता है।
शिला अभ्यंग का महत्व
आज कल के शहर व प्रोद्यौगिकी समाज लोगो को काफी तनावग्रस्त कर देते हैं, इस कारण वे प्रकृति की औपचारिक तरंगो से पूर्णतः कट जाते है। वे शांति को खोजने का प्रयास करते है परंतु वह सिर्फ अंदर गहराई में जा कर ही प्राप्त हो सकती है, अपनी प्राण शक्ति उजागर करके एवं अपने मन का अवलोकन करके। शिला अभ्यंग में इस्तेमाल होने वाली शिला (पत्थर) की गर्मी से हमारा अतिसक्रिय मन और शरीर का वात कुछ अंश स्थिर हो जाता है।
हमारा मन एक शांत व स्थिर स्थिति में पहुँच जाता हैं| अभ्यंग चिकित्सक गर्म शिला के द्वारा शरीर की धरती ऊर्जा के साथ काम करते हैं और गर्दन, कंधो व पीठ के हिस्सो पर, जहाँ अधिकतर तनाव रहता है उसे तनावमुक्त करते हैं। इस चिकित्सा के दौरान व्यक्ति एक सौम्य, शांत स्थिति का अनुभव करता है। यह प्रक्रिया हमारे तांत्रिक तंत्र को साफ़ करके पुनः तरोताज़ा बना देती है। तो इस तरह सिर्फ एक मसाज के ज़रिये हम अपनी लाइफ और शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Mind Body In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version