वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में स्टेम कोशिकाओं से एक छोटा दिमाग बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इससे तंत्रिका संबंधी और मानसिक बीमारियों के सटीक उपचार में मदद मिलने की उम्मीद है।
ऑस्ट्रियाई अकादमी के इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलीक्यूलर बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने परखनली में नौ सप्ताह के भ्रूण के दिमाग के समान दिमाग तैयार किया है। यह कृत्रिम दिमाग इनसानी दिमाग से बस इस मायने में अलग है कि इसमें सोचने समझने की शक्ति नहीं है। प्रयोगशाला में पहले भी वैज्ञानिक दिमागी कोशिकाएं बनाने में सफल रहे है, लेकिन इस बार उन्होंने चार मिलीमीटर आकार का दिमाग बनाने में सफलता हासिल की है। यह अब तक प्रयोगशाला में बना सबसे बड़ा दिमाग है।
विज्ञान पत्रिका 'नेचर' ने यह रिपोर्ट दी है। प्रयोगशाला में इस दिमाग को बचाने के लिए भ्रूण की मूल कोशिका या वयस्क चर्म कोशिका का उपयोग किया गया। मूल या वयस्क चर्म कोशिकाओं से आमतौर पर दिमाग और रीढ़ बनाया जाता है। इसे फिर दो महीने तक जैव रिएक्टर में पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की मौजूदगी में विकसित किया गया।
कोशिकाएं स्वयं ही विकसित होकर दिमाग के विभिन्न हिस्सों के रूप में खुद को संगठित करने में सफल रहीं। जैसे सेरेब्रल कोर्टेक्स, रेटिना और हिपोकैप्पस, जो बाद में इनसानो में स्मृति के विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बनाए गए दिमाग की बनावट किसी अपरिपक्व मानव दिमाग के समान है। हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा है कि फिलहाल वे वास्तविक दिमाग बनाने से काफी दूर हैं।
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