
फर्टिलिटी जांच पर कई बार सवाल उठ चुके हैं, कई बार यह गलत भी साबित होती है, ज्यादा जानिए इस लेख में।
घर पर इस्तेमाल किये जाने वाली फर्टिलिटी जांच की विश्वसनीयता पर प्रश्न किये गए हैं की यह जाँच सही में गर्भधारण की पुष्टि कर पाती है या नही। कई बार इस जांच के बाद भी महिला के गर्भवती होने के प्रमाण मिले हैं।
महिला की फर्टिलिटी जांच के एिल एक अणु जिसे हम फोलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) कहते है उसकी मात्रा को जांचा जाता है, जिसके ना होने से महिला को बाँझ मान लिया जाता है। लेकिन कुछ मामलों में यह जांच गलत भी साबित हुई है। आइए हम इसके बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
क्या कहता है शोध
यह देखा गया है की ऐसी कई महिलाए जो इन जांचो द्वारा इन्फर्टाइल घोषित कर दी गयी थी उनमे कुदरती रूप से गर्भधारण हो जाते हैं। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी आफ नोर्थ केरोलीना (युएनसी) के शोधकर्ताओं द्वारा की गयी थी जो की चेपल हिल स्कूल आफ मेडिसिन में स्थित है। इस अध्ययन में यह भी बताया गया था की अन्य हार्मोन जिसे हम एंटी मुलेरियन कहते है वो बांझपन का ज्यादा बढ़िया सूचक होता है।
अध्ययन के मुख्य लेखक आन.जी. स्टेनर, एमडी, एम्पीएच, जो की युएनसी में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के सहायक प्रोफेसर हैं। उनके हिसाब से यह ऊर्वरता के ऊपर होने वाले अध्ययन और ज्यादा जांच मांगते है क्योंकि यह पूरी तरह से पक्का नहीं करते हैं की कोई महिला बांझ है की नहीं। वे इस बात को मानती हैं की इन जाँच की सीमा को फिर से जांचने की ज़रूरत है या पूरी तरह से हमे कुछ नयी जांचो को निकालने की ज़रूरत है।
इस शोध में वो वातावरण जिसमे की यह ऊर्वरता की जाँच करने वाली जांचे काम करती है वैसा वातावरण बनाया गया है। यह भी देखा गया है की एक चौथाई महिलाये जिनकी जाँच हुई है उनमे असामन्य एफेसेच का स्तर होता है और इन महिलाओं को बाँझ कहा जा सकता है । इस अध्ययन में इन महिलाओं को अगले छ महीने के लिए निगरानी में रखा गया था और यह देखा गया की वे अन्य की तरह ही आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं। अब जब बांझपन को बताने वाले हार्मोन के स्तर को एक बड़ी संख्या तक बढ़ा दिया गया है तो अब हार्मोन के स्तर और बांझपन के सम्बन्ध के बारे में हम बता सकते है।
इस शोध का अन्य नतीजा जो यह है की एमएच बांझपन बताने के लिए एफएसएच से ज्यादा बढ़िया होता है यह बात अभी ज्यादा उपयोग में नहीं है। यह इसलिए क्योंकि एमएच रक्त की जांच के द्वारा नापा जा सकता है लकिन मूत्र की जाँच की कझ से नहीं जांचा जा सकता है। ऎसी रक्त की जांच जो की एमएच को नाप सकती है वो अभी भी चिकित्सकीय रूप से उपयोग करने के लिए मान्य नहीं है। स्टेनर कहते है की इस हार्मोन की मात्रा को जांच में उपयोग लाने पर भविष्य में और ज्यादा सही ऊर्वरता परिणाम मिल सकते हैं।
फर्टिलिटी जांच के सही होने पर प्रश्न उठे हैं, फर्टिलिटी जांच सही परिणाम नहीं देती हैं ऊर्वरता जांच पर शोध इन जांच को गलत बताती है।
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