गर्भपात से जुड़े सात मिथ

गर्भपात होना किसी भी महिला के लिए बहुत दुखदायी होता है। लेकिन, इससे जुड़े कई ऐसे मिथ होते हैं, जो हमारे समाज में फैले हुए हैं। इन मिथों के कारण कई परेशानियां भी हो सकती हैं। क्‍या आप जानती हैं कि अधिकतर गर्भपात के पीछे आंतरिक कारण उत्‍तरदायी होते हैं।
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गर्भपात से जुड़े सात मिथ


गर्भावस्‍था एक महिला को मातृत्‍व का सुख देती है। यह उसे उम्‍मीदों, चाहतों और सपनों के नये दौर में लेकर जाती है। किसी मां के लिए अपने नवजात की पहली किलकारी से सुंदर दुनिया में और कुछ नहीं होता। लेकिन, इस खुशी के साथ ही कई डर भी होते हैं। डर कुदरत के दिये इस तोहफे को खोने का। और गर्भपात के खतरे का। गर्भपात की बात सुनते ही कई मिथ भी सामने आ जाते हैं। यहां, हम कुछ ऐसे ही मिथों के बारे में बात करेंगे, जो गर्भावस्‍था से जुड़े हैं।

गर्भपात का सामना करने वाली महिलायें आमतौर पर कई कारकों को इसके लिए उत्‍तरदायी ठहराती हैं। सच्‍चाई यह है कि अधिकतर गर्भपात अनुवांशिक और गुणसूत्रीय अनियमितताओं के कारण होते हैं। और इन्‍हें रोकने के लिए आप ज्‍यादा कुछ नहीं कर सकतीं।

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डॉक्‍टर कहते हैं कि वास्‍तव में 70 फीसदी गर्भपात गुणसूत्रीय अनियमितताओं के कारण होते हैं और इनका बाहरी कारणों से कोई लेना-देना नहीं होता। ज्‍यादातर रूटीन जांच में इस तरह की अनियमिताओं के बारे में पता नहीं चलता। और इसलिए पति-पत्‍नी को इस बात का पता ही नहीं चलता कि आखिर तमाम सावधानियां बरतने के बावजूद गर्भपात क्‍यों हो गया।'

भू्ण के सामान्‍य विकास पर भी गुणसूत्रीय अनियमितताओं का असर पड़ता है और यही समस्‍यायें आगे चलकर गर्भपात का कारण भी बन सकती हैं।

आहार और व्‍यायाम

डॉक्‍टर कहते हैं कई लोग सोचते हैं कि गर्भावस्‍था के दौरान तनाव, व्‍यायाम अथवा आहार आदि गर्भपात के संभावित कारण हो सकते हैं। लेकिन यह सच नहीं है।
आहार और व्‍यायाम बच्‍चे के विकास पर तो असर डालते हैं, लेकिन इनका गर्भपात से कोई लेना-देना नहीं होता। अधिकतर महिलायें पहली तिमाही में आहार पर बहुत जोर देती हैं और जब गर्भपात होता है जो वे किसी खास आहार या व्‍यायाम को इसके लिए जिम्‍मेदार ठहराती हैं। कई महिलायें तो गर्भपात के डर से अपनी नौकरी भी छोड़ देती हैं।

हालांकि, इस मामले में आपको कुछ जरूरी बातों का खयाल रखना चाहिये। जैसे आपको कच्‍चा पपीता और अनानास नहीं खाना चाहिये। साथ ही आपको बहुत अधिक कठिन परिश्रम भी नहीं करना चाहिये। सामान्‍य व्‍यायाम अच्‍छा है, लेकिन अधिक व्‍यायाम अच्‍छा नहीं।

गर्भवती महिला को कच्‍चा पपीता और अनानास का सेवन इसलिए नहीं करना चाहिये क्‍योंकि उनमें मौजूद तत्‍व बच्‍चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बहुत अधिक कड़ा व्‍यायाम जैसे वेट लिफ्ट‍िंग या घुड़सवारी भी नहीं करनी चाहिये। इनके अलावा अन्‍य काम खतरनाक नहीं होते। सामान्‍य गतिविधियां आपको किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचातीं। साथ ही आप कुछ भी खा सकती हैं, चाइनीज, इटालियन या फिर कुछ अन्‍य, जो आपका दिल चाहे।

शारीरिक संबंध

गर्भावस्‍था के दौरान संबंध बनाना पूरी तरह सुरक्षित होता है। और आपको इस बारे में तब तक फिक्र करने की जरूरत नहीं है, जब तक आपको डॉक्‍टर ने ऐसा करने से मना न किया हो। अगर आप सहज हों तो अपने पार्टनर के साथ प्रसव के समय तक शारीरिक अंतरंगता रख सकती हैं।

गर्भपात के अधिकतर मामलों को टाला नहीं जा सकता। गर्भपात मुख्‍य रूप से गुणसूत्रीय अनियमितताओं या हॉर्मोंस समस्‍याओं जैसे आंतरिक कारणों से होता है। गर्भावस्‍थ‍िक तनाव, मद्धम व्‍यायाम अथवा शारीरिक संबंध के कारण गर्भपात नहीं होता।''

तनाव

तनाव की वजह से गर्भपात नहीं होता। इस बात का कोई साक्ष्‍य भी नहीं है कि तनाव गर्भपात का कारण है। गर्भावस्‍था के दौरान तनावपूर्ण रहना बच्‍चे के विकास पर जरूर असर डालता है, लेकिन गर्भपात से इसका संबंध स्‍थापित करने के मामले में कोई शोध नहीं हुआ है।

गर्भपात का इतिहास

अधिकतर लोग सोचते हैं कि यदि आपने पहले स्‍वेच्‍छा से गर्भपात करवाया है, तो अगली बार आपका गर्भपात हो सकता है। यह बात पूरी तरह से गलत है। आपका गर्भपात होने का इस बात से कोई संबंध नहीं होता कि आपने पहले भी गर्भपात करवाया है या आपका गर्भपात हो चुका है। अध‍िकतर मामलों में अगली बार आप कामयाबी से गर्भधारण कर पाएंगी। हां लगातार दो या तीन गर्भपात होने के बाद आपको सोचने की जरूरत है। हालांकि, इस बारे में आपको अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि आजकल ऐसी जांच मौजूद हैं, जिनसे यह पता लगाया जा सकता है कि आखिर इसके पीछे की असली वजह क्‍या है।

स्‍पॉटिंग

अधिकतर महिलायें सोचती हैं कि गर्भावस्‍था की शुरुआत में रक्‍तस्राव होना गर्भपात का संकेत हो सकता है। यह डर गलत है। '' गर्भावस्‍था की शुरुआत में रक्‍तस्राव होना सामान्‍य है। करीब चालीस फीसदी मामलों में ऐसा होता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप गर्भपात की ओर बढ़ रही हैं। माहवारी के दौरान व्‍यायाम करते समय पेट की मांसपेशियों में दर्द होना भी पूरी तरह से सामान्‍य है।

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फौरन देखभाल की जरूरत

अधिकतर लोग सोचते हैं कि गर्भपात के बाद फौरन सफाई नहीं करने पर संक्रमण हो सकता है। यह बात गलत है। डॉक्‍टर दीक्षित कहती हैं कि नीम-हकीम इस तरह की बातें फैलाते हैं। वे महिला को जबरन हॉ‍स्पिटल में भर्ती करवाते हैं, इससे उसे फायदा कम नुकसान ज्‍यादा होता है।

हालांकि चिकित्‍सीय सहायता की जरूरत होती है, लेकिन यदि मृत शिशु कुछ समय तक तक गर्भ में रह भी जाए, तो मां को फौरन किसी प्रकार के संक्रमण या खतरे का डर नहीं होता। हां, यदि उसे भारी रक्‍तस्राव हो रहा है, तब उसे फौरन चिकित्‍सीय सहायता दी जानी चाहिये।

डॉक्‍टर  यह सलाह भी देते हैंं कि सर्जरी द्वारा फौरन सफाई करवाये जाने से भी बचना चाहिये। यह काम एक प्रशिक्षित डॉक्‍टर द्वारा ऐसे अस्‍पताल में किय जाना चाहिये, जहां इसके लिए सभी जरूरी उपकरण मौजूद हों। कई बार सर्जरी से क्‍लीनिंग करवाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। और यह समस्‍या दवाओं से खुद ब खुद ठीक हो जाती है।

कंप्‍यूटर रेडिएशन

कुछ लोग मानते हैं कि गर्भावस्‍‍था में कंप्‍यूटर रेडिएशन का बुरा असर पड़ता है। और इससे गर्भपात भी हो सकता है। यह बात पूरी तरह गलत है और इसे साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्‍ध नहीं है। कंप्‍यूटर रेडिएशन बहुत कम होता है। यह आपके भ्रूण को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। लेकिन, आप अगर इस बात को लेकर फिक्रमंद हैं, तो कंप्‍यूटर पर बैठने का अपना वक्‍त कम कर दीजिये।

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