पिटाई से बच्‍चों पर पड़ते हैं ये 5 नकारात्‍मक प्रभाव, हो जाते हैं आक्रामक

आपको लगता है कि उसे मारने या पीटने से वह आपकी बात मान लेगा? लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बच्‍चे को दंड देने से उस पर गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकता है। 
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पिटाई से बच्‍चों पर पड़ते हैं ये 5 नकारात्‍मक प्रभाव, हो जाते हैं आक्रामक


क्या आप अक्सर अपने बच्चे पर चिल्लाते या धमकाते हैं? खासकर तब, जब वह बात सुनने से मना कर देता है, किसी प्रकार का दुर्व्‍यवहार करता है और फिर आपको लगता है कि उसे मारने या पीटने से वह आपकी बात मान लेगा? लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बच्‍चे को दंड देने से उस पर गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकता है। यहां हम आपको बता रहे हैं उन 5 प्रभावों के बारे में जो बच्‍चों को मारने पीटने का कारक है।  

 

झूठ बोलने लगते हैं बच्‍चे 

ज्‍यादातर पेरेट्स को लगता हैं कि बच्‍चों को सही या गलत का अंतर मार कर ही समझाया जा सकता है। अगर आपको भी ऐसा ही लगता है तो आप गलत है क्‍योंकि शायद मार खाने के बाद बच्‍चा पिटाई खाने वाला कार्य करना ही छोड़ दें। या ऐसा भी हो सकता है कि वो झूठ बोलना या उस बात को छुपाना शुरू कर दें जिस कारण उनको मार पड़ी है। बच्चों का झूठ बोलना सीखना या माता-पिता से बातें छुपाना आपको बच्‍चे से दूर कर सकता है।

सजा का डर खत्म होना

खुद सोचें कि जब आप बच्चे को छोटी-छोटी गलती पर मार कर उसमें सजा का डर खत्म कर देंगे और बाद में वह कोई बड़ी गलती कर बैठेगा, तो आपके पास उसे सुधारने का क्या तरीका बचेगा? शायद कोई नहीं, क्योंकि आपने बच्चे को सजा का सबसे घिनौना तरीका (अतिप्रतिक्रिया) पहले ही दिखा दिया है। इसलिए बेहतर यही है कि आप बच्चों को प्यार से समझाएं।

अपमानित महसूस करते हैं 

पेरेट्स अक्‍सर इस बात से अनजान रहते हैं कि बच्‍चे भी अपमान महसूस करते हैं। बच्‍चो को मार खाने से ज्‍यादा काफी दिनों तक मार खाने पर महसूस हुई बेबसी याद रहती है। इसलिए अपने बच्चे को इससे दूर रखना आवश्यक है, क्योंकि बच्चों के कोमल मन पर ऐसा बुरा असर उन्‍हें अशांत या डरा हुआ बना सकता है।

आक्रामक होने लगते हैं 

अगर हम बड़ों को भी कोई मारे तो हमें कैसा महसूस होगा? यही सोचक अपने बच्‍चों को मारना बंद कर दें और उनकी मासूमियत को मार-पिटाई से अंजाने में कुचलें नहीं। बचपन में सीखी बातें बड़े होने तक याद रहतीं हैं। क्या पता? आपकी मार आपके बच्चों को बड़े होने पर गुस्से वाला और बातमीज बना दें। यह बात एक शोध से भी साबित हुई है।

शोध के अनुसार बच्‍चों को मारना-पीटना उन्‍हें अधिक आक्रामक बनाता है। साथ ही वे बुरा बर्ताव करने लगते हैं। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्‍चों को अनुशासन में रखने के लिए क्‍या तरीके अपनाये जाते हैं, इसका उनके व्‍यवहार पर सीधा और गहरा असर पड़ता है। इससे इस बात पर कोई असर नहीं पड़ता कि बाकी समय में बच्‍चों के साथ आप कैसा बर्ताव करते हैं।

मारना बच्‍चों के हित के लिए नहीं होता

माता-पिता का मानना है कि बच्‍चों की पिटाई उनके हित में होती है। लेकिन यह सोचना गलत है क्‍योंकि आपका गुस्‍सा बच्‍चे के हित के लिए नहीं बल्कि मारने के रूप में निकालता है। इसलिए मारने की बजाय आपको ये जानने की कोशिश करनी चाहिए कि आखिर वह आपकी बात क्‍यों नहीं मान रहा। समस्‍या का कारण और हल निकालना जरूरी है ना कि अपने बच्चे को मारना।

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