जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में हुई रिसर्च कहती है कि अगर आप एक ही तरह का खाना हर रोज़ खाते हैं, तो आपके शरीर को परेशानी हो सकती है। बॉडी हेल्दी नहीं रहती। इसकी तुलना, अगर आप अपनी मील में खाने की वैरायटी रखें, तो आप स्वस्थ रहेंगे। डॉक्टर्स भी इस बात पर स्ट्रेस डालते हैं कि अपनी डाइट में अलग-अलग डिशेज़ शामिल करें, ख़ासकर की फ्रेश फूड्स। जितना हो सके फास्ट फूड्स और पैकेज्ड फूड्स से दूर रहें, और फ्रेश वेजिटेबल्स और फ्रूट्स खाएं। इस एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट को फॉलो करने से शरीर को सारे ज़रूरी विटामिन्स, मिनरल्स, फैटी एसिड्स और फाइबर मिलेंगे, जो हेल्दी लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा हैं।
इंफेक्शन से बचना चाहते हैं, तो फास्ट फूड को बिलकुल कहें न-न, शोध
1- बच्चों की ग्रोथ के लिए ज़रूरी
हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए अलग-अलग न्यूट्रिएंट्स की ज़रूरत होती है। लेकिन, अगर हम एक ही तरह का खाना हर रोज़ खाएंगे, तो किसी एक न्यूट्रिएंट की मात्रा शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा हो जाएगी, और यह बॉडी के लिए हानिकारक हो सकता है। चाहे बच्चे हों या बड़े, अलग-अलग तरह के पकवान से शरीर को सारे ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं। खासकर बच्चों की ग्रोथ के लिए तो यह बहुत ज़रूरी है, और अगर बड़े बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं, तो भी मील में वैरायटी ज़रूरी है।
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2- डाइजेशन में परेशानी
हर रोज़ एक ही चीज़ खाने से कई लोगों में देखा गया है कि वो उस खाने को ठीक से डाइजेस्ट नहीं कर पाते। यानी उनका मेटाबॉलिज़म वीक हो जाता है, और उन्हें पेट से जुड़ी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। इस दौरान, अगर वो कोई नई चीज़ भी खाते हैं, तो वो ठीक से पचती नहीं और पेट खराब होने के चांस बढ़ जाते हैं। इसलिए, कहते हैं कि एकदम नई चीज़ बहुत ज़्यादा न खाएं। धीरे-धीरे खाएं और एक बार में एक नई चीज़ ही बॉडी को इंट्रोड्यूस करवाएं। यह ख़ासकर उन लोगों के लिए है जो हर रोज़ एक ही डाइट फॉलो करते हैं।
3- ज़रूरी बैक्टीरिया का विकास नहीं होता
कई लोगों को एक ही तरह का खाना खाने की आदत तब लगती है, जब वो डाइटिंग कर रहे होते हैं। लेकिन लिमिटिड डाइट से गट माइक्रोबायोटा इम्बैलेंस हो सकता है। दरअसल, अगर आप आज कुछ ऐसा खाते हैं, जिससे आपके शरीर को पूरे न्यूट्रिएंट्स न मिले हों, तो अगले दिन कुछ और खाकर उसकी कमी पूरी की जाती है। लेकिन, अगर आप वही चीज़ हर रोज़ खाते हैं, तो गट माइक्रोबायोटा इम्बैलेंस हो सकता है। यानी शरीर में लिमिटिड बैक्टीरिया ही पैदा होते हैं, और बॉडी की पूरी हेल्थ इम्बैलेंस हो जाती है। बैक्टीरिया का विकास शरीर की आंतों या गट में होता है, और एक ही डाइट से कई बैक्टीरिया पैदा ही नहीं होते। अगर आप हर रोज़ हेल्दी खाना खाते हैं, तो भी अपनी डाइट में वैरायटी रखें।
4- एलर्जी का चांस
वो लोग जिन्हें खाने से एलर्जी रहती है, अगर एक ही डाइट प्लान फिक्स कर लें, तो उनकी दिक्कत कम नहीं होगी, बल्कि बढ़ेगी। डॉक्टर्स कहते हैं कि ऐसे लोगों को अपनी डाइट में अलग-अलग फूड्स इंट्रोड्यूस करने चाहिए। इससे वो एक ही चीज़ हर रोज़ नहीं, बल्कि कुछ गैप के बाद खाते हैं, और ऐसे में एलर्जी होने के चांस कम हो जाते हैं। इसे कहते हैं रोटेशन डाइट।
5- वज़न कम नहीं होता
एक ही तरह की डाइट कुछ टाइम के बाद बोरिंग लगने लगती है। इसके चलते आपको वज़न कम करने में भी परेशानी हो सकती है। दरअसल, हेल्दी वेट के लिए गट में अलग-अलग बैक्टीरिया का पैदा होना ज़रूरी है, और एक ही बोरिंग डाइट के चलते, ज़्यादा बैक्टीरिया पैदा नहीं हो पाते। इससे कई सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं, जैसे की डायबिटीज़। आपको बता दें कि अलग-अलग बैक्टीरिया के हमारी बॉडी में अलग-अलग रोल हैं। कई बैक्टीरिया ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद करते हैं, तो कई इंफ्लेमेशन पर चेक रखते हैं।
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