प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन महिलाओं में पाया जाने वाला एक खास हार्मोन है, जिसे प्रेग्नेंसी हार्मोन भी कहा जाता है। इसका कारण है कि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन ही गर्भाशय को गर्भधारण करने के लिए तैयार करता है। गर्भधारण करने से पहले से लेकर डिलीवरी होने तक इस हार्मोन का बहुत महत्व होता है। मासिक प्रक्रिया के दौरान महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन का स्तर बढ़ता है, खासकर ऑव्युलेशन की प्रक्रिया के दौरान। गर्भाशय में जिस जगह पर अंडे निषेचित होते हैं, वहां पर यह हार्मोन एक परत का निर्माण करता है। अंडाशय इस हार्मोन का उत्पादन गर्भावस्था की तीसरी तिमाही तक करता है, लगभग 9-10वें सप्ताह में प्लासेंटा अंडाशय पर अपना स्थान ले लेता है। यदि इस हार्मोन के स्तर में गिरावट आ जाये तो गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा डिप्रेशन, इंफर्टीलिटी, थाइरॉइड डिस्फंक्शन, वजन बढ़ना और अनियमित पीरियड्स जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। अगर आप अपने शरीर में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन का स्तर ठीक रखना चाहती हैं, तो इन आहारों का सेवन जरूर करें।
ओमेगा फैटी-3 एसिड वाले आहारों का सेवन
अधिक पॉलीअनसेचुरेटेड ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन, हार्मोंन को संतुलन करने के सबसे आसान तरीकों में से एक है। इसके लिए आप मछली के तेल या शाकाहारी तेल जैसे चिया बीज, अलसी और अखरोट का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है।
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विटामिन बी-6 है जरूरी
विटामिन बी 6 या पायरीडॉक्सामाइन की मात्रा कम होने से भी महिलाओं में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन प्रभावित होता है। ये त्वचा, इम्यून सिस्टम और मेटाबॉलिज्म आदि को ठीक रखने के लिए बहुत जरूरी है। विटामिन बी 6 का सबसे अच्छा स्रोत साबुत अनाज जैसे गेंहूं, बाजरा, जौ, मक्का आदि, मटर, ग्रीन बीन्स, अखरोट आदि हैं। मांसाहारी लोगों में इस विटामिन की कमी कम देखी जाती है क्योंकि मछली, अंडे, चिकन, मटन आदि विटामिन बी 6 का अच्छा स्रोत होते हैं। शाकाहारी लोग अनाज और ड्राई फ्रूट्स के अलावा केले, बंद गोभी, सोया बीन्स, गाजर और हरी सब्जियों से भी ये विटामिन आसानी से पा सकते हैं।
विटामिन सी और विटामिन ई
विटामिन-ई एक एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह वनस्पति तेल, ब्रोकोली, दाल आदि में पाया जाता है। एक शोध के मुताबिक विटामिन-ई को यदि विटामिन-सी के साथ मिलाकर लिया जाए तो इससे महिलाओं में प्रोजेस्टेरॉन की मात्रा बढ़ती है और यह गर्भावस्था के दौरान कई तरह की समस्याओं से बचा सकता है। जिसमें मुख्य रूप से गर्भपात की समस्या शामिल होती है। लेकिन विटामिन ई के लिए किसी दवा या कैप्सूल का सहारा नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे जरूरत से ज्यादा विटामिन ई आपके शरीर में चला जाता है। प्राकृतिक स्रोतों द्वारा इन विटामिन्स की पूर्ति करें।
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जिंक वाले आहारों का सेवन करें
जिंक भी आयरन और कैल्शियम की तरह शरीर के कार्य के लिए बहुत आवश्यक मिनरल है। हालांकि शरीर में जिंक की कमी पूरी करने के लिए दवाओं का सहारा नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसकी अधिक मात्रा पथरी का कारण बन सकती है। मगर प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त जिंक आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है। मूंगफली जिंक का सबसे अच्छा स्रोत है। इसके अलावा लहसुन, अंडे की जर्दी, तिल, मशरूम, फलियों और अलसी में भी जिंक भरपूर पाया जाता है। इसलिए इन आहारों का सेवन जरूर करें।
पालक का सेवन जरूर करें
प्रोजेस्टेरोन के स्राव को बढ़ाने के लिए पालक का सेवन उपयोगी रहता है। पालक में मैग्नीशियम होता है जो कि प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर को सही बनाए रखता है। इसलिए प्रोजेस्टेरोन का स्तर सही बनाए रखने के लिए आप मैग्नीशियम का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा पालक में मौजूद आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाता है।
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