अस्‍थमा (दमा) से राहत दिलाने में मददगार हैं ये 5 आसान व्‍यायाम

बढ़ते प्रदूषण, पर्यावरणीय कारकों व आनुवांशिक कारणों की वजह से दमा या अस्‍थमा जैसी बीमारी होती है। यह एक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें कि व्‍यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। लेकिन कुछ हल्‍के व आसान व्‍यायामों की मदद से अस्‍थमा (दमा) में राहत पायी जा सकती है। 
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अस्‍थमा (दमा) से राहत दिलाने में मददगार हैं ये 5 आसान व्‍यायाम


बढ़ते प्रदूषण, पर्यावरणीय कारकों व आनुवांशिक कारणों की वजह से दमा या अस्‍थमा जैसी बीमारी होती है। यह एक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें कि व्‍यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्‍थमा में फेफड़ो के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है और जिसके कारण श्‍वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। यही कारण होता है कि व्‍यक्ति को सांस लेने में दिक्‍कत होने लगती है। इसके अलावा, अस्‍थमा में सीने में जकड़न, अधिक खांसी, सांस लेते समय घरघराहट और दम घुटने जैसी स्थिति होती है। अस्थमा एक दीर्घकालिक श्‍वसन विकार है। अस्‍थमा के कई कारण व प्रकार हैं, ऐसे में अस्‍थमा रोगियों का बाहर काम करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन कुछ हल्‍के व आसान व्‍यायामों की मदद से अस्‍थमा (दमा) में राहत पायी जा सकती है। आइए जानते हैं अस्‍थमा रोगियों को कौन से व्‍यायाम करना फायदेमंद रहेगा। 

सुखासन (Sukhasana)

 

सुखासन, यह आपकी श्वास को बढ़ाएगा और आपके दिमाग को आराम देगा। सुखासन आपको अपने श्वास पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और फेफड़े की कार्यक्षमता में सुधार करता है। इसके अलावा, यह आपके दिमाग को भी शांत करता है।

  • इसके लिए आप सबसे पहले जमीन पी चटाई बिछा लें और बैठ जाएं। ध्‍यान रखें, अपनी पीठ सीधी करके और पैरों को क्रॉस करके बैठें। 
  • अब गहरी साँस लें, और फिर धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए शुरू करें। इस तरह से साँस लेने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करें।
  • अस्थमा से राहत पाने के लिए रोजाना लगभग 5 से 10 मिनट तक ऐसा करें।

शवासन (Corpse Pose)

शवासन, जिसे कॉर्प्स पोज़ भी कहा जाता है। यह आसन करने से यह आपकी श्वास प्रक्रिया को बढ़ाएगा और अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करे्रा। शवासन योग में सबसे अधिक आराम देने वाले आसनों में से एक है, जो आपकी श्वास प्रक्रिया को बढ़ाता है।

  • इसे करने के लिए, आप जमीन पर चटाई बिछाकर बैठ जाएं। 
  • अब आप अपनी पीठ के बल सीधे लेट जाएं। आपकी भुजाएँ स्वतंत्र रूप से दोनों तरफ खुली हुई हों और हथेलियां ऊपर की ओर हों।
  • इस स्थिति में गहरी सांस लें और छोड़े और अस्थमा से राहत पाने के लिए अपनी प्राकृतिक श्वास लय पर ध्यान केंद्रित करें।

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सेतु बंध सर्वंगासना (Bridge Pose)

सेतु बंध सर्वांगासन, जिसे कि ब्रिज पोज़ भी कहा जाता है। इस आसन को करने से आपको अस्‍थमा में राहत मिलेगी। 

  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई या योगा मैट बिछाकर लेट जाएं। 
  • अब आप अपने शरीर के बगल में, हथेलियों को नीचे की ओर करके लेट जाएं और अब अपने घुटनों को मोड़ें।   
  • पैरों की एडि़यों को फर्श पर रखें और फिर अपने कंधों, हाथों और पैरों का सहारा लेते हुए, अपनी पीठ, शरीर के निचले हिस्‍से और कूल्‍हों को फर्श से ऊपर की ओर उठाएं। 
  • धीरे-धीरे और गहरी सांस लेते रहें।
  • एक मिनट के लिए मुद्रा बनाए रखें और फिर आराम करें। इसी प्रकार आप इस आसन को कम से कम 10 या 20 बार दोहराएं।

पवनमुक्तासन (Wind-Relieving Pose)

पवनमुक्तासन, यह आसन करने से आपके श्वास को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और जिससे कि अस्‍थमा अटैक का खतरा कम होगा। पवनमुक्तासन करना बेहद ही आसान है, आप रोजाना इस आसन को सुबह के समय खुले आसमान के नीचे कर सकते हैं। 

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  • इस मुद्रा को करने के लिए आप अपनी पीठ के बल लेट जाएं।
  • इसके बाद आप अपने पैरों को जकड़ें, अपने घुटनों को मोड़ो, और उन्हें गले लगाने के समान पकड़े। 
  • अब अपने सिर को फर्श से उठाएं और अपनी नाक को घुटनों के बीच रखें।
  • कुछ सेकंड के लिए मुद्रा में रहें और जैसे ही आप गहरी सांस लेते हैं, तब छोड़ दें।

भुजंगासन (Cobra Pose)

भुजंगासन, जिसे कोबरा पोज़ भी कहते हैं। भुजंगासन से बेहतर परिसंचरण और फेफड़ों के लिए अचछा माना जाता है। भुजंगासन से छाती, पेट और कंधों में मांसपेशियों को खींचकर, आपके ब्‍लड सर्कुलेशन, श्वास और फेफड़ों के कार्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। 

  • इस मुद्रा को करने के लिए अपने हाथों को जमीन पर सीधा रखते हुए पेट के बल लेट जाएं।
  • अब, अपने हाथों से जोर देते हुए, अपने ऊपरी शरीर को वापस ऊपर की ओर उठाएं, जहां तक संभव हो।
  • पांच से दस सांसों तक के लिए इसी मुद्रा में रहें और फिर थोड़ा सा आराम करते हुए इसे पुन: दोहराएं। 

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