विटामिन डी की कमी हमारे शरीर के लिए खतरनाक होती है क्योंकि यही वो विटामिन है, जो हमारे शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। ऐसे में अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाए, तो कई तरह के रोगों का खतरा बढ़ जाता है। ठंड के मौसम में धूप कम निकलती है और बहुत सारे लोग धूप सेंकते भी नहीं हैं इसलिए इसकी कमी के कारण कुछ खास परेशानियां शुरू हो सकती हैं। सर्दी के मौसम में विटामिन डी की कमी का असर ब्लड प्रेशर और दिल के स्वास्थ्य पर पड़ता है इसलिए ये खतरनाक हो सकती है। आइए आपको बताते हैं ठंड में विटामिन डी की कमी से किन समस्याओं का होता है खतरा।
अस्थमा का खतरा
सर्दियों में विटामिन डी की कमी से अस्थमा की शिकायत हो सकती है। विटामिन डी की कमी और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सीधा संबंध होता है। बच्चों में यह संबंध विशेष रूप से देखा जाता है। यह बात भी सामने आयी है कि विटामिन डी सूजन पैदा करने वाले प्रोटीन को फेफड़ों से दूर रखने में मदद करता है। इसके साथ ही यह सूजन कम करने वाले प्रोटीन को बढ़ाने में भी मदद करता है।
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दिल की बीमारियां
सर्दियों में विटामिन डी की कमी से हृदय रोगों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन डी की कमी के शिकार लोगों को दिल का दौरा पड़ने की संभावना बहुत अधिक रहती है। इसके साथ ही उनके हृदय संबंधी अन्य बीमारियां होने का खतरा भी अधिक रहता है। इसका कारण यह है कि विटामिन डी की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल को प्रभावित करता है।
अर्थराइटिस और अन्य बीमारियां
विटामिन डी की कमी का सीधा संबंध सूजन संबंधी बीमारियों से है। शरीर में अगर प्रचुर मात्रा में विटामिन डी न हो तो र्यूमेटॉइड अर्थराइटिस, ल्यूपस, इंफ्लेमेट्री बॉवल डिजीज (आईबीडी) और टाइप-1 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
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बच्चों में एनीमिया
विटामिन डी की कमी रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन पर भी असर डालती है। ये समस्या खासकर बच्चों में पाई जाती है। यदि रक्त में विटामिन डी का स्तर 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम है तो ऐसे में बच्चे के एनीमिया ग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है। इसलिए बच्चों में इस विटामिन की कमी दूर करने के लिए विटामिन डी युक्त आहार और धूप का सेवन करवाना चाहिए।
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