थायराइड हॉर्मोन के बारे में पता होनी चाहिये ये दस बातें

थाइराइड गले की नली में पायी जाने वाली एक ग्रंथि होती है। जो कि मेटाबॉलिज्म ग्रंथि को नियंत्रित करती है। हम जो खाते हैं उसको थाइराइड ग्रंथि शरीर के लिए उपयोगी ऊर्जा में बदलती है। थाइराइड हार्मोन क्षमता से ज्यादा पैदा होने के कारण थायराइड की समस्‍या होती है।
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थायराइड हॉर्मोन के बारे में पता होनी चाहिये ये दस बातें

लाइफस्‍टाइल और तनाव के कारण थायराइड के मरीजों की संख्‍या में लगातार वृद्धि हो रही है। थायराइड के रोगियों में 80 प्रतिशत संख्‍या महिलाओं की है। थायराइड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्‍योंकि इसकी पहचान आसानी से नही हो पाती है। थाइराइड गले की नली में पायी जाने वाली एक ग्रंथि होती है। जो कि मेटाबॉलिज्म ग्रंथि को नियंत्रित करती है। हम जो खाते हैं उसको थाइराइड ग्रंथि शरीर के लिए उपयोगी ऊर्जा में बदलती है। थाइराइड हार्मोन क्षमता से ज्यादा पैदा होने के कारण थायराइड की समस्‍या होती है। थायराइड के कारण मरीज की मौत भी हो सकती है।

थाइराइड ग्रंथि के ठीक से काम न करने की वजह से शरीर में विभिन्न प्रकार की सामान्य स्वास्‍थ्‍य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। थकान आना, रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना, जुकाम, त्वचा सूखना, अवसाद, वजन बढ़ना और हाथ-पैर ठंडे रहने जैसी सामान्य समस्याएं थायराइड में होती हैं। आइए हम आपको थायराइड हार्मोन से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं।

 

 

 


थायराइड हार्मोन से जुड़ी 10 बातें



  • थायराइड एक इंडोक्राइन ग्रंथि है जो गर्दन के निचले हिस्‍से में पायी जाती है, यह एडमस एप्पल के ठीक नीचे होती है। इस ग्रंथि का काम थायरॉक्सिन हार्मोन बनाकर खून तक पहुंचाना है जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहे।
  • थायरायड ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन्‍स बनाता है टी3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन) और टी4 (थायरोक्सिन)। इन हार्मोन्‍स के अनियमित होने के कारण ही थायराइड की बीमारी होती है।
  • यदि शरीर में थायराइड हार्मोन की मात्रा कम हो जाय तो सुस्ती और आलस छाने लगता है, लेकिन यदि इसकी मात्रा बढ़ जाये तो शरीर ज्‍यादा एक्टिव हो जाता है।
  • थायराइड ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्रंथि से होता है जबकि पिट्यूटरी ग्रंथि हाइपोथेलमस से नियंत्रित होती है।
  • हाइपोथायराइडिज्म में टीएसएच का स्तर बढ़ जाता है और टी3 व टी4 की मात्रा कम हो जाती है।
  • हाइपरथायराइडिज्म में टीएसएच का स्तर घटता है और टी3 व टी4 की मात्रा बढ़ जाती है। 

 

 

 

  • कई बार
  • थायरायड ग्रंथि में कोई रोग नहीं होता लेकिन पिट्युटरी ग्रंथि के ठीक तरह से काम नहीं करने के कारण थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने वाला हार्मोन थायरायड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) ठीक प्रकार नहीं बनते और थायरायड से होने वाले रोग के लक्षण दिखते हैं।
  • थायराइड की जांच के लिए खून में टी3, टी4 और टीएसएच हार्मोन की जांच होती है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड थायराइड और एंटी थायराइड टेस्ट होता है।
  • थायराक्सिन हार्मोन अधिक होने से शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है। अनिद्रा, उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं और शरीर का वजन कम होने लगता है।
  • यदि बचपन में थायराइड हार्मान असंतुलन हो जाये तो बच्‍चों का शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है।

 

  • अगर हम अपनी सेहत को लेकर सचेत रहें तो थायराइड की शुरुआत में पहचान कर इलाज कराया जा सकता है, साथ ही कुछ सावधानी भी बरतकर इसको होने की आशंका को कम किया जा सकता है।

 

 

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