डायबिटीज आहार से संबंधित दस मिथ

डायबिटीज डायट का नाम सुनते ही आपके जेहन में बेस्‍वाद खाना आता है। लेकिन, क्‍या यह पूरी तरह सच है। डायबिटीज के आहार से जुड़े ऐसे कई मिथ है जिनके बारे में जानकारी होना जरूरी है।
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डायबिटीज आहार से संबंधित दस मिथ


डायबिटीज डायट का नाम सुनते ही आपके जेहन में बेस्‍वाद खाना आता है। लेकिन, क्‍या यह पूरी तरह सच है। डायबिटीज के आहार को लेकर आपके जेहन में कई ऐसी बातें हैं, जो शायद पूरी तरह सच नहीं हैं। इनमें कई बातें या तो आपने किसी से सुनी हैं या कहीं पढ़ी हैं। लेकिन, इन बातों के पीछे की पूरी हकीकत शायद आप नहीं जानते।

diabetesपहला मिथ - अधिक चीनी खाने से हो सकती है डायबिटीज

हम यही मानते हैं कि अधिक चीनी खाने से डा‍यबिटीज होती है, लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं है। जब आपके शरीर में आहार को ऊर्जा में बदलने की क्षमता कम हो जाती है, तब डायबिटीज होती है। डायबिटीज को जानने के लिए इस प्रक्रिया को समझें। आप जो भी खाते हैं, आपका शरीर उसे ग्‍लूकोज में बदल देता है। यह शुगर का एक प्रकार है, जो आपकी कोशिकाओं को शक्ति देता है। पेनक्रियाज में मौजूद हार्मोन इनसुलिन शरीर को इस ग्‍लूकोज को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है।


डायबिटीज के प्रमुख प्रकार


टाइप वन डायबिटीज 

इस परिस्थिति में पेनक्रियाज इनसुलिन का निर्माण नहीं करता। इनसुलिन के बिना रक्‍त में शक्‍कर की मात्रा बढ़ जाती है। आमतौर पर यह बच्‍चों और नौजवानों में देखी जाती है। जानकारों की राय में इम्‍यून सिस्‍टम में कमजोरी इसकी सबसे बड़ी वजह होती है।


टाइप टू डायबिटीज

यह तब होता है जब पेनक्रियाज पर्याप्‍त मात्रा में इनसुलिन नहीं बनाता या इनसुलिन सही प्रकार से इस्‍तेमाल नहीं हो पाता, अथवा दोनों ही कारण हों। अधिक वजन टाइप टू डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण होता है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है।


गर्भावधि मधुमेह

गर्भावस्‍था के दौरान कुछ महिलाओं में यह समस्‍या होती है। गर्भावस्‍था के दौरान हार्मोन्‍स में बदलाव के कारण इनसुलिन सही प्रकार से काम नहीं कर पाता। गर्भावधि मधुमेह से पीडि़त महिला को अक्‍सर इनसुलिन लेना पड़ता है। बच्‍चे के जन्‍म के बाद यह समस्‍या अपने आप ठीक हो सकती है।


मिथ -2 डायबिटीज आहार में नियमों का अंबार

डायबिटीज डायट में बहुत सारे नियम नहीं होते। इसका मूल नियम यही है कि आप ऐसा आहार चुनें जो आपकी रोजमर्रा की शार‍ीरिक गतिविधियों से मेल खाता हो और इसके साथ ही दवायें जो आपके रक्‍त में शर्करा की मात्रा को संतुलित कर सके। क्‍या आपको अपने आहार में बदलाव लाने की जरूरत है ? शायद हां, लेकिन उस हद तक नहीं जितना कि आप सोचते हैं।


मिथ -3 डायबिटीज में कार्बोहाइड्रेट बहुत बुरा होता है

वास्‍तव‍िकता में कार्बोहाइड्रेट डायबिटीज में बहुत अच्‍छा होता है। ये एक स्‍वस्‍थ डायबिटीज आहार अथवा किसी भी आहार का आधार होता है। रक्‍त में शर्करा की मात्रा पर कार्बोहाइड्रेट का सीधा असर पड़ता है, इसलिए डायबिटीज आहार लेते समय आपसे कार्बोहाइड्रेट के सेवन पर नजर रखने की सलाह दी जाती है। हालांकि, कार्बोहाइड्रेट आहार में कई जरूरी पोषक तत्‍व जैसे, विटामिन, मिनरल और फाइबर आदि भी होते हैं। तो, ऐसे में समझदारी इसी बात में है कि आप साबुत अनाज और उच्‍च फाइबर युक्‍त फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। आप आहार विशेषज्ञ से मिलकर अपने लिए सर्वश्रेष्‍ठ आहार चुन सकते हैं।


मिथ 4 डायबिटीज में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट से बेहतर होता है

कार्बोहाइड्रेट रक्‍त में शर्करा की मात्रा पर तेजी से असर डालता है, इसलिए डायबिटीज से ग्रस्‍त कुछ लोग प्रोटीन युक्‍त आहार का रुख कर लेते हैं। लेकिन अधिक प्रोटीन लेना आपकी समस्‍याओं को बढ़ा सकता है। प्रोटीन युक्‍त अधिकतर आहारों जैसे मीट आदि में सैचुरेटेड फैट भी काफी मात्रा में होता है। इनका अधिक सेवन आपको दिल की बीमारियां दे सकता है। आपकी कुल कैलोरी का 15 से 20 फीसदी हिस्‍सा ही प्रोटीन होना चाहिए।


मिथ -5 दवा से सब बराबर हो जाता है

अगर आप इनसुलिन लेने के बाद यह सोचते हैं कि आप कुछ भी खा सकते हैं, तो यह आपकी गलती है। आपको इनसुलिन का इंजेक्‍शन लेने के साथ ही खाने का नया तरीका भी सीखना होगा। यह नहीं कि आप कितना भी खा लें और फिर इनसुलिन की मात्रा बढ़ा दें। अपने डॉक्‍टर की सलाह के बिना दवा और आहार में बदलाव करने से परहेज करें। डायबिटीज की दवा तभी अधिक कारगर साबित होती है, जब वह डॉक्‍टर की सलाह से ली जाती है।


मिथ 6 अपना पसंदीदा भोजन छोड़ना होगा

ऐसा नहीं है कि डायबिटीज होने पर आप अपना पसंदीदा भोजन नहीं कर सकते। आपको उसे पकाने का तरीका बदलना होगा। इसके साथ ही अन्‍य आहार के साथ उसे खाने के तरीके में भी जरा बदलाव लाना होगा। अपने पसंदीदा भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम करनी होगी। इसके साथ ही अगर आप अपनी आहार योजना पर टिके रहते हैं, तो खुद को अपने पसंदीदा भोजन के रूप में ईनाम दें। आप इसके लिए आहार-विशेषज्ञ की मदद ले सकते हैं।


मिथ -7- अगर आपको डायबिटीज है, तो आपको मीठा छोड़ना होगा

सच नहीं है- आप अपने डायबिटीज आहार में मीठा शामिल कर सकते हैं। किसी स्‍वीट डिश में आप कृत्रिम चीनी का उपयोग कर सकते हो। मीठे की मात्रा कम कर दें। उदहारण के लिए अगर पहले आप दो आइसक्रीम खाते थे, तो तब एक खाएं। मीठे को अपने लिए ईनाम मान लें। यदि आप अपनी आहार-योजना पर टिके रहते हैं, तो खुद को ईनाम के तौर पर मीठा खाने को दें। आप चाहें तो अपने मीठे को पौष्टिक भी बना सकते हैं। आप यह मीठा बनाते समय साबुत अनाज, ताजा फल और वेजिटेबल ऑयल इस्‍तेमाल कर सकते हैं। आप आइसक्रीम, पाई अथवा केक के स्‍थान पर फल और ओटमील बिस्‍कुट आदि खा सकते हैं।


मिथ -8 कृत्रिम चीनी भी डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदेह होती है     

कृत्रिम चीनी सामान्‍य चीनी के मुकाबले अधिक मीठी होती है, तो आपको उतने ही मीठे के लिए कम चीनी डालने की जरूरत होती है। इससे आप कम कैलोरी का सेवन करते हैं। जो लोग अपना वजन काबू करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए भी ये स्‍वीटनर काफी मददगार हो सकते हैं, लेकिन इनकी मात्रा के बारे में आपको जरा ध्‍यान रखने की जरूरत है। इस मामले में आप आहार-विशेषज्ञ की मदद ले सकते हैं।


मिथ -9 आपको डायबिटीज का खास आहार खाना पड़ेगा


सच्‍चाई तो यह है कि 'डायबिटिक आहार' जैसी कोई चीज नहीं होती। जो आहार डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है, वह आहार सभी लोगों के लिए फायदेमंद होता है। वास्‍तव में डायबिटीज के लिए कोई खास आहार तैयार करने की जरूरत नहीं है। डायबिटीज के शिकार किसी व्‍यक्ति को अपने आहार पर और गहरी नजर रखने की जरूरत होती है। इसमें कुल खायी गयी कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट के प्रकार का भी ध्‍यान रखना पड़ता है। आपका डॉक्‍टर अथवा डायटिशियन आपकी मदद कर सकता है।


मिथ -10 डायट आहार डायबिटीज के लिए सबसे उत्तम आहार होता है

सिर्फ 'डायट' का तमगा लगा होने से कोई आहार डायबिटीज के लिए फायदेमंद नहीं हो जाता। डायट फूड सामान्‍य से महंगे भी होते हैं, तो सेहत को इनका कोई विशेष लाभ भी नहीं पहुंचता। तो किसी भी आहार को चुनने से पहले उसमें मौजूद पोषक तत्‍वों व अन्‍य सामग्री की जानकारी जरूर ले लें। इसके लिए भी आप अपने डॉक्‍टर की मदद ले सकते हैं।


अब आपको डायबिटीज के बारे में तथ्‍यों की जानकारी है, तो अब आपको अपने लिए बेहतर आहार चुनने में आसानी होगी। इसके साथ ही व्‍यायाम और दवाओं का मेल आपको एक सेहतमंद जिंदगी जीने में मदद करेगा। इससे आपकी रक्‍त-शर्करा मात्रा नियंत्रित रहेगी।

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