सोडा पीने से मोटापा बढ सकता है और मधुमेह का भी खतरा होता है। इसमें मौजूद सोडियम, ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है और ब्लड प्रेशर बढने से हार्ट अटैक का रिस्क होता है। यही नहीं सोडा इसलिये भी अच्छा नहीं है क्योंकि यह हड्डियों को भुरभुरा बना देता है। लेकिन यदि दोपहर को सोडा पीने की आदत छोड़ने के लिए आपको ये सभी कारण पर्याप्त नहीं लगते तो आपको अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक हैल्थ में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, एक दिन में एक मीठा सोडा पीना आपके शरीर की उम्र बढ़ने की दर में तेजी ला सकता है, सोडा छोड़ने में मदद कर सकती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सोड़ा आपको बूढ़ा बना सकता है। चलिये जानें कैसे-
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय का शोध
सैन फ्रांसिस्को स्थिति कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने 20 से 65 आयु वर्ग के 5,300 स्वस्थ वयस्कों के नमूने को देखा और पाया कि वे लोग जिन्होंने तीन वर्षों के दौरान एक दिन में सोडा की एक 8 औंस का सेवन किया, में उम्र बढ़ने की दर में अतिरिक्त 1.9 साल की बढ़ोत्ती का अनुभव किया। नियमित रूप से सोड़ा पीने से उम्र बढ़ने की दर में हुआ ये इज़ाफा लगभग सिगरे पीने से होनी वाली एजिंग जितना ही था। शुगर वाले ड्रिंक पीने का संबंध कोशिकाओं की उम्र बढ़ने से है। इसके मुताबिक शुगर वाले मीठे सोडे से बीमारियां होती हैं एवं मोटापा बढ़ता है।
अध्ययन पर काम करने वाले शोधकर्ताओं ने पाया कि सोडा पीने वाले लोगों में सोड़ा ना पीने वाले लोगों की तुलना में टीलोमेरेस (डीएनए के सुरक्षात्मक छोर जो शरीर में हर कोशिका में पाये जाते हैं) कम था। ज्यादा सोडा पीने वाले लोगों की सफेद रक्त कोशिकाओं (व्हाइट ब्लड सेल्स) में गुणसूत्रों के ऊपर पाए जाने वाले टीलोमेरस छोटे थे। गौरतलब है कि टीलोमेरेस की लंबाई का संबंध व्यक्ति के जीवन की अवधि से होता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सा की प्रोफेसर एलिसा एपेल के अनुसार यह पहला परीक्षण है, जिसमें पाया गया कि सोडा पीने से टीलोमेरस की लंबाई कम हो जाती है।
हालांकि, बकौल एलिसा, यह अभी भी सिर्फ अटकलें हैं कि सोडे में मौजूद शुगर एजिंग का कारण बनती है या सोड़े में ऐसा कुछ और ही होता है, जो त्वरित रूप से टीलोमेरेस को कम करता है।
सोडा पीने की लत कैसे करें दूर
किसी भी प्रकार की लत से पीछा छुड़ाना आसान नहीं होता, लेकिन नामुम्किन भी नहीं होता है। सोड़े का सेवन बंद करना भी इनमें से एक है। चूंकि इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है, तो इससे ऊर्जा मिलती रहती है। ऐसे में जब अचानक इसका सेवन बंद किया जाता है तो कुछ न कुछ मीठा खाने का मन करता रहता है।
ऐसे में लोगों को ऐसे खाद्य पदार्थ भोजन में शामिल करने चाहिए, जिनमें एल-ग्लटेमाइन अधिक होता है। यह एक तरह का एमिनोएसिड है, जो अंडे, मछली, चिकन, गेहूं, बींस, गोभी, चुकंदर, पालक आदि में प्रचुर मात्र में होता है। इससे मीठा खाने की ललक कम होती है।
इसके अलावा आप सोड़े को प्राकृतिक और पोषक पेय पदार्थों मसलन नींबू पानी या नारियल पानी आदि से बदल सकते हैं। इनमें शर्करा की मात्र कम होती है और पोटैशियम अधिक होता है। सोड़ा सॉफ्ट ड्रिंक्स की तुलना में नारियल पानी या नींबू पानी लेना शरीर में पीएच के संतुलन को भी बनाए रखता है। साथ ही इससे ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है।