क्या आप गर्भावस्था की प्रक्रिया को हौवा समझती हैं? प्रेग्नेंसी के उन नौ महीने खुद को बीमार महसूस करती हैं? अगर हां, तो यह सोच सरासर गलत है। आप प्रेग्नेंट हैं, बीमार नहीं। इस दौरान खुद को कैसे बनाएं मज़बूत व दिन भर कैसे रहें खुश और पॉजि़टिव, जानिए इस लेख में।
गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान ज्यादातर स्त्रियां खुद को बीमार समझती हैं। उन्हें लगता है कि प्रेग्नेंसी एक तरह की बीमारी है और वे जल्दी भावुक भी होने लगती हैं। ऐसा समझने के पीछे एक बड़ा कारण है कि किसी भी स्त्री के प्रेग्नेंट होते ही उसे यह मत करो, वो मत खाओ, ऐसे कपड़े मत पहनो, ऐसे मत चलो जैसी ढेरों नसीहतें दी जाने लगती हैं, जिस कारण वे गर्भावस्था जैसी नैचुरल प्रक्रिया को भी बीमारी समझने लगती हैं।
अगर ऐसा है तो हम बता रहे हैं खुद को स्ट्रॉन्ग बनाने के कुछ टिप्स, जिससे आप अपने परिवार व पति पर निर्भर रहने के बजाय खुद मज़बूत बनकर उन नौ महीने न सिर्फ दूसरी स्त्रियों को प्रेरित करेंगी बल्कि अंदरूनी तौर पर भी खुश रहेंगी।
मज़बूत बनें
कुछ गर्भवती स्त्रियों की प्रेग्नेंसी थोड़ी जटिल होती है, जिस वजह से उन्हें गाइनिकोलॉजिस्ट बेड रेस्ट की सलाह देती हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सभी प्रेग्नेंट स्त्रियां लगातार आराम करें।
मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अलका चौबे के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान खुद को अनोखी व बेचारी समझने से बेहतर है कि मानसिक-शारीरिक स्तर पर मज़बूत बनें। किसी पर निर्भर रहने से अच्छा है, अपने छोटे-छोटे कार्य खुद करें। ज़रूरी नहीं कि हमेशा आपके घरवाले या पार्टनर आपके इर्द-गिर्द ही हों। उनकी भी अपनी व्यस्तताएं हो सकती हैं। अपने काम के लिए उन पर आप पूरी तरह से निर्भर न रहें।
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जांच के लिए खुद जाएं
यह ज़रूरी नहीं कि रेगुलर चेकअप या किसी जांच के लिए आपके पति को आपके साथ होना ज़रूरी है। यह न सोचें कि ऐसी स्थिति में तो जीवनसाथी को हमेशा साथ रहना चाहिए। या फिर हॉस्पिटल में आपको काफी देर प्रतीक्षा में बैठना पड़ेगा और आप इससे थक जाएंगी। अकेले जाने से न घबराएं। ऐसा कोई काम नहीं जो आप खुद न कर पाएं। हां, अगर आपके साथ मेडिकल इश्यूज़ ज्य़ादा हैं, तब आपको अतिरिक्त देखभाल और सावधानी की ज़रूरत पड़ सकती है।
हर पल एंजॉय करें
प्रेग्नेंट होने की खुशी सिर्फ एक स्त्री ही समझ सकती है। मूड स्विंग्स की वजह से भले ही आप कुछ पल एंजॉय न कर पाएं पर कोशिश करें कि इस दौरान हर दिन व हर पल आपका व आपके बच्चे का होना चाहिए। अच्छे पलों को कैमरे में कैद करना न भूलें, साथ ही यादगार पलों के विडियोज़ बनाएं और इन्हें उस वक्त देखें, जब आपका मूड खराब हो या आपको खाली बैठना पसंद न हो। इन्हें देखकर खुशी के साथ-साथ आपका मनोबल भी बढ़ेगा।
खुश और स्वस्थ रहें
आपको जिस काम से ज्य़ादा खुशी मिलती हो, वही करें। जैसे अगर आपको इस दौरान बोरियत महसूस हो रही है और आप शॉपहॉलिक हैं तो शॉपिंग पर भी निकल सकती हैं। कुछ स्त्रियों को आध्यात्मिक किताबें या नॉवेल पढ़ना भाता है, तो पसंद के अनुसार किताबें पढ़कर खुश रहा जा सकता है। अगर स्वादिष्ट खाने का मन हो तो अपने लिए कुकिंग करें। इसके अलावा कुछ लोगों को सफर करने में मज़ा आता है तो आप डॉक्टर से राय लेकर एक शानदार व छोटी ट्रिप पर भी निकल सकती हैं। खुद को रीज़ुविनेट करने का मन हो तो स्पा का आनंद लें लेकिन इस दौरान केमिकल ट्रीटमेंट लेने से बचें। फिटनेस का ध्यान रखती हैं तो इस दौरान योग व व्यायाम की क्लासेज़ जॉइन कर खुश रहने का प्रयास करें और पांच मिनट डीप ब्रीदिंग करें। गर्भावस्था के दौरान फिट रहना अच्छा है पर एक्सरसाइज़ करने से पहले अपनी गाइनी और प्रोफेशनल ट्रेनर की सलाह ज़रूर लें।
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रूटीन के काम में बदलाव
वर्किंग हों या नॉन वर्किंग, रेगुलर काम से बोर हो गई हैं तो रूटीन के काम में कुछ-कुछ बदलाव करें। जैसे- अगर रोज़ाना कुकिंग करती हैं तो बाहर से खाना ऑर्डर करें या डिनर डेट का प्लान बनाएं। गर्भावस्था के दौरान अकसर स्त्रियां काम करते हुए थक जाती हैं, ऐसे में एक बेहतरीन डिनर डेट आपको सुकून का एहसास कराएगी।
अपनों से दूरी न बढ़ाएं
खुद ही सारा काम करने के चलते अपनों से दूरी न बढ़ाएं। वे भी आपके लिए उतने ही ज़रूरी हैं, जितने कि आपके लिए आपका बच्चा। आत्मनिर्भर होना अच्छा है पर इतना नहीं कि कोई आपसे आपके किसी काम के दौरान बात ही न करे। खुद को समय दें पर परिवार वालों से भी आंखें न चुराएं।
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